कर्नाटक हाई कोर्ट की कलबुर्गी पीठ (Kalaburagi bench of the Karnataka high court) ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि दहेज के दावों को लेकर क्रूरता और उत्पीड़न के संबंध में पत्नी द्वारा अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दायर आपराधिक मामला उस वक्त अपना महत्व खो देता है, जब अगर शिकायत पति से तलाक का नोटिस मिलने के बाद दर्ज की जाती है। कोर्ट ने कहा कि तलाक का नोटिस मिलने के बाद दहेज की शिकायत नहीं कर सकते। इसके साथ ही जस्टिस एस रचैया ने शिकायतकर्ता के ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, नागेश गुंड्याल, उनकी पत्नी विजया, बेटी अंजना और उनके पति अनिल सहित महाराष्ट्र के सोलापुर निवासी ससुराल पक्ष के सभी लोगों ने देवदुर्गा पुलिस के पास बहू सुमा द्वारा दर्ज कराई गई आपराधिक शिकायत को चुनौती दी थी। रायचूर जिले के देवदुर्ग की रहने वाली सुमा ने मई 2013 में एक निजी कंपनी के कर्मचारी गोपाल गुंड्याल से शादी की थी।
सुमा के अनुसार, चूंकि वह मराठी या हिंदी नहीं जानती थी, इसलिए उसका पति उसे अपने साथ पुणे नहीं ले गया, जिससे उसे अपने ससुराल में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। सुमा ने अपनी शिकायत में कहा कि उसके ससुराल वाले उसे लगातार प्रताड़ित करते थे और जोर देते थे कि वह पुणे में अपने पति के साथ आ जाए।
अपने दैनिक कष्टों से निराश सुमा ने आखिरकार अपने पति को अपने साथ रहने की अनुमति देने के लिए राजी कर लिया, इस शर्त के साथ कि वह अपने किसी भी रिश्तेदार को अपने पुणे वाले घर पर कभी नहीं बुलाएगी।
हालांकि, सुमा के मुताबिक, 22 दिसंबर, 2018 को रात करीब 10.30 बजे उसके माता-पिता पर उसके पति और ससुराल वालों ने हमला किया था। सुमा के आरोपों को खारिज करते हुए उसके ससुराल वालों ने दावा किया कि सभी आरोप बेतुके हैं। उन्होंने कहा कि शिकायत सोलापुर परिवार अदालत के समक्ष सुमा के पति द्वारा शुरू की गई तलाक की कार्यवाही के प्रतिशोध में थी।
हाई कोर्ट
यह देखते हुए कि सुमा ने 25 दिसंबर, 2018 तक अपने ससुराल वालों के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई थी, जस्टिस रचैया ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि आरोप बेतुके हैं और उल्लिखित प्रावधानों को लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।” जज ने आगे कहा कि जब तक प्रत्येक याचिकाकर्ता के खिलाफ स्वतंत्र रूप से आरोप नहीं लगाए जाते हैं, तब तक यह नहीं माना जा सकता है कि याचिकाकर्ताओं ने अपराध किया है।
सुमा के ससुराल वालों के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करते हुए अदालत ने आगे कहा कि प्रतिवादी नंबर 2 (सुमा) के पति ने 17 दिसंबर, 2018 को सोलापुर फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की थी। प्रतिशोध के संकेत के रूप में प्रतिवादी नंबर 2 ने सभी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी और यह अधिक महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही ससुरालवालों के खिलाफ दर्ज सभी मामले रद्द हो गए।
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