दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कपल द्वारा एक-दूसरे से स्वेच्छा से शादी करने के बाद कथित बलात्कार के एक मामले में आरोपी के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO एक्ट) की धारा 6 लागू करने के लिए पुलिस को फटकार लगाई। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, कथित तौर पर पुलिस ने इस धारणा के आधार पर पॉस्को के तहत चार्ज जोड़ा कि चूंकि पीड़िता 12वींवीं कक्षा की छात्रा है, इसलिए वह नाबालिग होनी चाहिए।
क्या है मामला?
सुल्तानपुरी के मामले में आरोपी और “पीड़िता” ने नवंबर 2022 में शादी कर ली और पति-पत्नी के रूप में खुशी-खुशी साथ रह रहे हैं।
हाई कोर्ट
जस्टिस रजनीश भटनागर ने पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर बलात्कार के मामले को रद्द करने की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से पूछा कि इस मामले में प्रावधान कैसे लागू किया गया। वकील ने कहा कि चूंकि घटना के समय पीड़िता 12वीं कक्षा में थी, इसलिए यह माना गया कि वह नाबालिग होगी।
कोर्ट ने कहा कि राज्य के लिए पेश हुए एपीपी द्वारा किए गए सबमिशन बेहद हास्यास्पद हैं। रिकॉर्ड पर किसी भी दस्तावेज के बिना, कोई यह कैसे मान सकता है कि पीड़िता नाबालिग है, यहां तक कि एक बालिग लड़की भी 12वीं कक्षा में हो सकती है।
इसके बाद वकील ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगा। चूंकि जांच अधिकारी अदालत में उपस्थित नहीं थे, इसलिए डीसीपी को सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होने के लिए एक नोटिस जारी किया गया है ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि आईओ अदालत में क्यों मौजूद नहीं थे।
बता दें पॉस्को एक्ट की धारा 6 में गंभीर प्रवेशन यौन हमले के अपराध के लिए सजा का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि अपराध करने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम 20 साल के सश्रम कारावास से दंडित किया जाएगा, जो आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास होगा। मामले की अगली सुनवाई 07 मार्च को होगी।
Join our Facebook Group or follow us on social media by clicking on the icons below
If you find value in our work, you may choose to donate to Voice For Men Foundation via Milaap OR via UPI: voiceformenindia@hdfcbank (80G tax exemption applicable)