सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछले महीने सितंबर में तलाक से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि शादी को खत्म करने के लिए पति-पत्नी में से किसी एक की गलती साबित करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।
क्या है मामला?
शीर्ष अदालत ने मुद्दे पर सुनवाई शुरू की कि आपसी सहमति वाले पक्षकारों को पारिवारिक अदालत में भेजे बिना शादी को खत्म करने के लिए संविधान के आर्टिकल-142 के तहत शक्तियों के प्रयोग के वास्ते व्यापक आधार क्या हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, तलाक दोष सिद्धांत (फॉल्ट थ्योरी) पर आधारित है, लेकिन विवाह का समाप्त होना दोषारोपण के फेर में पड़े बिना स्थिति की एक जमीनी सच्चाई हो सकती है। संविधान के आर्टिकल-142 शीर्ष अदालत के आदेशों और उसके समक्ष किसी भी मामले में पूर्ण न्याय प्रदान करने के आदेशों को लागू करने से संबंधित है।
पीठ ने कहा कि सवाल यह है कि क्या तलाक में किसी एक व्यक्ति की गलती होनी चाहिए? जस्टिस कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि हो सकता है कि दो बहुत बेहतर लोग अच्छे जीवन-साथी न हों। पीठ ने यह भी कहा कि कभी-कभी हमारे सामने ऐसे मामले आते हैं जहां लोग काफी समय तक साथ रहते हैं और फिर शादी टूट जाती है।
मामले में न्याय मित्र के रूप में अदालत की सहायता कर रही वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि तलाक की याचिका दायर होने पर आमतौर पर आरोप-प्रत्यारोप होते हैं। दोष सिद्धांत (फॉल्ट थ्योरी) के मुद्दे पर, जस्टिस कौल ने कहा कि यह भी, मेरे विचार से बहुत विषयपरक है। एक दोष सिद्धांत क्या है? उन्होंने कहा कि देखो, कोई कह सकता है कि आरोप है कि वह सुबह उठकर मेरे माता-पिता को चाय नहीं देती है। क्या यह एक दोष सिद्धांत है? शायद, आप चाय को बेहतर तरीके से बना सकते थे।
पीठ ने आगे कहा कि इनमें से बहुत से आरोप सामाजिक आदर्श से पैदा हो रहे हैं, जहां कोई सोचता है कि महिला को यह करना चाहिए या पुरुषों को ऐसा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये आदर्श तेजी से बदल रहे हैं और यह जमीनी हकीकत है। पीठ ने कहा कि तलाक की कार्यवाही में क्या किसी को दोष देना चाहिए?
जस्टिस कौल ने कहा कि उन्होंने ऐसे मामले देखे हैं जहां पुरुष तब भी विरोध कर रहा था जब महिला कुछ नहीं चाहती थी क्योंकि उसके पास कमाने की बेहतर क्षमता थी और वह बेहतर स्थिति में थी। इस मामले में अगले दिन भी बहस जारी रही।
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