इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पार्टियों के बीच केवल घरेलू संबंध उस व्यक्ति को शामिल करने के लिए अपर्याप्त है जो पीड़ित व्यक्ति के साथ घरेलू संबंध में है, जब तक कि डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट की धारा 3 के तहत परिभाषित घरेलू हिंसा की कोई विशिष्ट घटना न हो।
क्या है पूरा मामला?
इस मामले में घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 की धारा 23 के तहत सिविल जज द्वारा जारी एक समन आदेश के खिलाफ DV एक्ट की धारा 12 के तहत दायर एक शिकायत मामले में चुनौती दी गई थी। कपल ने 2019 में शादी की थी। शादी के बाद कपल के बीच हुए विवादों के कारण पत्नी ने डीवी एक्ट की धारा 12 के तहत अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी। इसके बाद, ट्रायल कोर्ट ने आवेदकों को एक समन जारी किया और प्रोबेशन/संरक्षण अधिकारी को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस आदेश के अनुपालन में परिवीक्षा/संरक्षण अधिकारी ने घरेलू हिंसा नियम 2006 के अनुसार फॉर्म-I में उल्लिखित दिशानिर्देशों का पालन करते हुए एक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में जिला प्रोबेशन अधिकारी ने शिकायतकर्ता, पति, सास और ससुर द्वारा दिए गए बयानों का डिटेल्स दिया।
हाई कोर्ट
जस्टिस दिनेश पाठक की खंडपीठ ने कहा कि जिला प्रोबेशन अधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट और जिला प्रोबेशन अधिकारी के समक्ष दिए गए शिकायतकर्ता के बयान के आलोक में धारा 12 DV एक्ट के तहत आवेदन की सामग्री पर विचार करने से पता चलता है कि शिकायतकर्ता द्वारा किसी भी उत्तरदाता (आवेदक) को जिम्मेदार ठहराए बिना किसी विशेष घटना का हवाला दिए बिना सर्वव्यापी आरोपों पर आकस्मिक तरीके से पति के परिवार के सभी सदस्यों के नाम लिए गए हैं। पार्टियों के बीच केवल घरेलू संबंध व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है जो पीड़ित व्यक्ति के साथ घरेलू संबंध में है जब तक कि डीवी एक्ट की धारा 3 के तहत परिभाषित घरेलू हिंसा की कोई विशिष्ट घटना न हो।
अदालत ने डीवी एक्ट की धारा 23 के तहत एक पक्षीय आदेश जारी किया। कोर्ट ने पत्नी को 3,000 प्रति माह रुपये का अंतरिम रखरखाव प्रदान करने का आदेश दिया। अदालत ने पाया कि शिकायतकर्ता ने पति के परिवार के सभी सदस्यों के नाम सर्वव्यापी आरोपों पर बिना किसी आरोपी को जिम्मेदार ठहराए किसी विशेष घटना का हवाला दिए आकस्मिक तरीके से लिए थे। अदालत ने कहा कि “आम तौर पर पति के रिश्तेदारों के नाम का उल्लेख करके लगाए गए सर्वव्यापी आरोप उन्हें आपराधिक मामलों में फंसाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।” इसके साथ ही अदालत ने CrPC की धारा 482 के तहत अंतर्निहित क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कार्यवाही को रद्द कर दिया।
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