राजस्थान (Rajasthan) से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। यहां एक कलयुगी पत्नी ने अपने ही पति पर अपनी 12 वर्षीय बेटी के साथ बलात्कार का झूठा आरोप लगाकर मामला दर्ज करवा दिया। अब करीब 20 महीने जेल में बिताने के बाद कोर्ट द्वारा शख्स को बाइज्जत बरी कर दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
26 दिसंबर, 2020 को राजस्थान के मरोठ गांव की एक महिला ने अपने ही पति के खिलाफ अपनी 12 वर्षीय बेटी के साथ बलात्कार का आरोप लगाते हुए पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, महिला ने मारोठ थाने में रिपोर्ट दी थी कि उसके पति ने अपनी 12 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म किया और किसी को बताने पर मारने की धमकी देता है। पत्नी की शिकायत पर बाद में पुलिस ने पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज कर महिला के पति को गिरफ्तार कर लिया। मां ने कथित तौर पर बेटी को चुप नहीं रहने पर जान से मारने की धमकी भी दी थी। पुलिस ने FIR दर्ज करने के बाद मामले की जांच पड़ताल की और मेडिकल करवाया। इसके बाद शख्स को कोर्ट में पेश किया गया, जहां उसे 27 दिसंबर 2020 को जेल की सजा सुनाई गई।
कोर्ट ने शख्स को किया बरी
कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई जहां पीड़ित और उसकी मां के बयान दर्ज किए गए। इस बीच करीब 20 महीने तक वो शख्स जेल में रहा। इस दौरान कोर्ट में पीड़िता के बयान दर्ज होते रहे और मां रेप की अलग-अलग कहानी सुनाती रही। कोर्ट में तारीखें मिलती रही, सुनवाई होती रही, सबूत पेश किए जाते रहे। पुलिस ने मौके से जुटाई हर चीज, डीएनए के सैंपल सब कुछ कोर्ट में पेश किए। आखिरकार 5 मई 2022 को कोर्ट में डीएनए एवं मेडिकल रिपोर्ट पेश हुई, जिसमें पुष्टि हुई कि नाबालिग बेटी के साथ रेप नहीं हुआ था। इसके बाद 1 सितंबर 2022 को कोर्ट ने शख्स को बरी कर दिया। फिर वह 02 सितंबर, 2022 को जेल से रिहा हो गया।
पत्नी ने रेप का झूठा केस दर्ज करने की बात कबूली
कोर्ट में जिरह के दौरान पत्नी ने पति के खिलाफ झूठा रेप का केस दर्ज करने की बात कबूल कर ली। पत्नी ने ऐसा करने का कारण बताया कि वह अपने पति की संपत्ति अपने नाम करना चाहती थी, लेकिन वह नहीं मान रहा था। तभी पत्नी ने अपने भाई के साथ मिलकर पति के खिलाफ साजिश रची और अपनी 12 साल की बेटी को मोहरा बनाया। फिर भाई-बहन की जोड़ी ने नाबालिग बेटी से रेप के आरोप में पति को झूठा फंसाया।
नाबालिग बेटी का बयान
पुलिस को दिए अपने पहले के बयान में बेटी ने अपने पिता पर बलात्कार का आरोप लगाया था। हालांकि, फिर कोर्ट में कहा कि उसने यह सब अपनी मां और मामा के कहने पर किया। बच्ची ने कहा कि पिता ने कभी उसके साथ कोई गलत काम नहीं किया। उसने अदालत में बयान दिया कि उसके पिता निर्दोष हैं।
स्पेशल पॉक्सो कोर्ट
दोनों पक्षों की दलीलें और बयान सुनने के बाद स्पेशल पॉक्सो कोर्ट के जज रतनलाल मूंद ने बेकसूर पिता को बरी कर दिया। फैसला सुनाते हुए जज रतनलाल मूंड ने तल्ख मौखिक टिप्पणी की। दैनिक भास्कर के मुताबिक, उन्होंने लड़की की मां से कहा कि कैसी कलयुगी मां हो तुम। एक मां अपनी बेटी-बेटे और परिवार का कभी बुरा नहीं सोच सकती, लेकिन तुमने तो पिता और बेटी के पवित्र रिश्ते पर ही कलंक लगाने जैसे घिनौना काम किया है।
इसके बाद पीड़ित मुआवजा योजना के तहत बेटी (कथित पीड़िता) को मिली राशि भी वापस ले ली गई। पूरे मामले में आरोपी पिता के पास इतना पैसा भी नहीं था कि वह अपना पक्ष रखने वाला वकील रख सके। उन्हें जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा सहायता प्रदान की गई और वकील कैलाश नारायण दधीच द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया, जिन्होंने सच्चाई का पता लगाने के लिए एक उत्कृष्ट काम किया।
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