गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने हाल ही में एक तलाकशुदा महिला द्वारा अपने पूर्व पति, उसकी नई पत्नी और अपने पूर्व ससुराल वालों के खिलाफ दायर घरेलू हिंसा और द्विविवाह की आपराधिक शिकायत को खारिज कर दिया, क्योंकि निचली अदालत द्वारा तलाक की डिक्री दिए जाने के बाद FIR दर्ज की गई थी।
क्या है पूरा मामला?
टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) के मुताबिक, शिकायतकर्ता महिला ने 2005 में मुंबई में रहने वाले एक व्यक्ति से शादी की थी। कपल से एक बेटी का जन्म हुआ। कुछ समय बाद वैवाहिक कलह के कारण महिला अपने मायके गुजरात लौट आई। इसके बाद 2011 में पति ने तलाक के लिए मुंबई में एक फैमिली कोर्ट का रुख किया। वहीं, पत्नी ने सुरेंद्रनगर जिले के लिंबडी में एक अदालत का दरवाजा खटखटाकर गुजारा भत्ता मांगा, जिसने पति को अपनी पत्नी और बेटी को भुगतान करने का आदेश दिया। दूसरी ओर, फरवरी 2014 में मुंबई की अदालत ने पति को तलाक की डिक्री दे दी और उसने दूसरी शादी कर ली।
इसके बाद दिसंबर 2015 में महिला ने अपने पूर्व पति, उसकी नई पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ क्रूरता और द्विविवाह के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A और 494 के साथ-साथ मारपीट और आपराधिक धमकी के अन्य आरोपों के तहत FIR दर्ज करा दी। पूर्व पति के परिवार ने FIR को रद्द करने के लिए गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया। पति ने कहा कि महिला द्वारा लगाए गए आरोप सामान्य रूप में थे और क्रूरता का कोई सबूत नहीं है। दूसरी शादी के बारे में पता चलने के बाद ही FIR दर्ज की गई। इस प्रकार, घरेलू हिंसा और द्विविवाह के आरोप कायम नहीं रहते।
हाई कोर्ट
जस्टिस जेसी दोशी ने सुरेंद्रनगर जिले के चुडा पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR को रद्द करते हुए कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि एफआईआर प्रतिशोध लेने के लिए दायर की गई है और यह तलाक का जवाबी हमला है…” अदालत ने यह भी कहा कि FIR को जारी रखने की अनुमति नहीं दी सकती। यह जांच और आपराधिक मामला याचिकाकर्ताओं के लिए अपमानजनक होगा। साथ ही यह अदालत की प्रक्रिया का भी दुरुपयोग होगा।
Gujarat Woman Files Bigamy, 498-A FIR Against Divorced Husband, His Parents & His New Wife
▪️Quashing the case, the Gujarat HC said: "It appears that the FIR is filed for wreaking vengeance and is a counterblast to the divorce." Justice J C Doshi
▪️In 2005, the Gujarat woman… pic.twitter.com/J7lyaioXXL
— Voice For Men India (@voiceformenind) August 22, 2023
पुरुषों के लिए समान अधिकारों के बारे में ब्लॉगिंग करना या जेंडर पक्षपाती कानूनों के बारे में लिखना अक्सर विवादास्पद माना जाता है, क्योंकि कई लोग इसे महिला विरोधी मानते हैं। इस वजह है कि अधिकांश ब्रांड हमारे जैसे पोर्टल पर विज्ञापन देने से कतराते हैं।
इसलिए, हम दानदाताओं के रूप में आपके समर्थन की आशा करते हैं जो हमारे काम को समझते हैं और इस उद्देश्य को फैलाने के इस प्रयास में भागीदार बनने के इच्छुक हैं। मीडिया में एक तरफा जेंडर पक्षपाती नेगेटिव का मुकाबला करने के लिए हमारे काम का समर्थन करें।
हमें तत्काल दान करने के लिए, ऊपर "अभी दान करें" बटन पर क्लिक करें। बैंक ट्रांसफर के माध्यम से दान के संबंध में जानकारी के लिए यहां क्लिक करें। click here.