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Home हिंदी कानून क्या कहता है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘भारत में तलाक की सबसे बड़ी वजह लव मैरिज है’

Team VFMI by Team VFMI
May 18, 2023
in कानून क्या कहता है, हिंदी
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voiceformenindia.com

Promotion of women officers: Supreme Court says it cannot run affairs of Indian Army

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भारत में लव मैरिज (Love Marriage) की वजह से ज्यादातर तलाक की नौबत आ रही है। यह हम नहीं, बल्कि देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (17 मई) को एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की जस्टिस बीआर गवई और संजय करोल की दो जजों की बेंच वैवाहिक विवाद से जुडी ट्रांसफर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान मामले के एक वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि यह एक लव मैरिज था, जिस पर शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

बार एंड बेंच के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि लव मैरिज से तलाक की नौबत आ रही है। जब मामले के एक वकील ने अदालत को सूचित किया कि यह विवाह एक प्रेम विवाह था। तो जस्टिस गवई ने जवाब देते हुए कहा, “ज्यादातर तलाक लव मैरिज से ही हो रहे हैं।”

शीर्ष अदालत ने मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया, जिसका पति ने विरोध किया। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि हाल के एक फैसले के मद्देनजर वह उसकी सहमति के बिना तलाक दे सकती है। इसके बाद बेंच ने मध्यस्थता का आह्वान किया।

इससे पहले पिछले महीने अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक की मांग कर रहे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर कपल से कहा था कि वे शादी को कायम रखने के लिए एक और मौका खुद को क्यों नहीं देना चाहते, क्योंकि दोनों ही अपने रिश्ते को समय नहीं दे पा रहे थे।

जस्टिस केएम. जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा था कि वैवाहिक संबंध निभाने के लिए समय (ही) कहां है। आप दोनों बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। एक दिन में ड्यूटी पर जाता है और दूसरा रात में। आपको तलाक का कोई अफसोस नहीं है, लेकिन शादी के लिए पछता रहे हैं। आप वैवाहिक संबंध कायम रखने के लिए (खुद को) दूसरा मौका क्यों नहीं देते।

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि बेंगलुरू ऐसी जगह नहीं है, जहां बार-बार तलाक होते हैं और कपल एक-दूसरे के साथ फिर से जुड़ने का एक और मौका दे सकते हैं। हालांकि, पति और पत्नी दोनों के वकीलों ने पीठ को बताया था कि इस याचिका के लंबित रहने के दौरान संबंधित पक्षों को आपसी समझौते की संभावना तलाशने के लिए शीर्ष अदालत के मध्यस्थता केंद्र भेजा गया था।

पीठ को सूचित किया गया कि पति और पत्नी दोनों एक समझौते पर सहमत हुए हैं, जिसमें उन्होंने कुछ नियमों और शर्तों पर हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 13b के तहत आपसी सहमति से तलाक द्वारा अपनी शादी को समाप्त करने का फैसला किया है।

वकीलों ने पीठ को सूचित किया था कि इन शर्तों में से एक यह है कि पति स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में पत्नी के सभी मौद्रिक दावों के पूर्ण और अंतिम निपटान के लिए कुल 12.51 लाख रुपये का भुगतान करेगा।

शीर्ष अदालत ने ऐसी परिस्थितियों में कहा कि हम संविधान के आर्टिकल 142 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हैं और हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 13B के तहत आपसी सहमति से तलाक के निर्णय की पृष्ठभूमि में दोनों पक्षों के बीच विवाह संबंध को समाप्त करने की अनुमति देते हैं।’’

न्यायालय ने दहेज निषेध अधिनियम, घरेलू हिंसा अधिनियम और अन्य संबंधित मामलों के तहत राजस्थान और लखनऊ में पति और पत्नी द्वारा दर्ज किए गए विभिन्न मुकदमों को भी रद्द कर दिया था।

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