चेन्नई की एक फैमिली वेलफेयर कोर्ट (Family Welfare Court in Chennai) ने ऑस्ट्रेलिया की एडिलेड कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक भारतीय कपल को तलाक दिया गया था। ऑस्ट्रेलिया में कपल के तलाक का मामला लंबित था, जहां पत्नी ने अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप है कि पति ने अपनी मां के साथ मिलकर कथित तौर पर महिला के साथ दुर्व्यवहार किया था। ऑस्ट्रेलिया की अदालत ने पति के पक्ष में फैसला दिया था।
क्या है पूरा मामला?
ETVBharat.com के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई के दौरान इस कपल को एक दूसरे से प्यार हो गया। साल 2006 में चेन्नई के एक चर्च में दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद कर्नाटक का रहने वाला पति और तमिलनाडु की महिला ऑस्ट्रेलिया में रहने लगे। कपल का एक बेटा भी है।
हालांकि, महिला के मुताबिक कुछ समय बाद पति के परिवार को उसकी पत्नी के धर्म, संस्कृति और भाषा को लेकर समस्या होने लगी। इससे पत्नी को भारी भावनात्मक परेशानी हुई। इस बीच, उस व्यक्ति का कथित तौर पर एक अन्य महिला के साथ संबंध शुरू हो गया। महिला का आरोप है कि पति ने कथित तौर पर अपनी पत्नी से लाखों रुपये वसूल लिए, उसके साथ दुर्व्यवहार किया और कथित तौर पर उसकी पिटाई की।
ऑस्ट्रेलियाई कोर्ट
इसके बाद पति ने तलाक के लिए ऑस्ट्रेलिया में अर्जी दी। ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड फेडरल सर्किट कोर्ट ने 2020 को पति की याचिका मंजूर कर लिया। इसके बाद एडिलेड फेडरल सर्किट कोर्ट में तलाक की मांग कर रहे पति द्वारा दायर मामले पर सुनवाई हुई और 2020 में दोनों को तलाक देने का आदेश दिया।
चेन्नई कोर्ट
ऐसे में महिला ने चेन्नई की फैमिली वेलफेयर कोर्ट में एक मामला दायर कर ऑस्ट्रेलियाई अदालत द्वारा दिए गए तलाक को अमान्य घोषित करने की मांग की। यह मामला मद्रास हाई कोर्ट परिसर में तीसरे अतिरिक्त फैमिली कोर्ट में जस्टिस केएस जयमंगलम के समक्ष सुनवाई के लिए आया। मामले में पेश होने के लिए अपने पति को ईमेल और व्हाट्सएप के जरिए समन भेजने के बावजूद वह सुनवाई में नहीं आए।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील जॉर्ज विलियम्स ने तर्क दिया कि फैसले को रद्द कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई अदालत भारत में हुई शादी के लिए तलाक नहीं दे सकती। इस पर जज ने अपने फैसले में कहा, ‘चाहे भारत में किसी भी कानून के तहत शादी हुई हो, चाहे वह हिंदू मैरिए एक्ट हो या स्पेशल मैरिज एक्ट भारत में मामला दायर किया जा सकता है।’
अदालत ने उल्लेख किया कि पत्नी को कोई समन जारी किए बिना तलाक दे दिया गया। जस्टिस केएस ने आगे कहा कि यह ऑस्ट्रेलियाई अदालत की अवमानना है, क्योंकि पति ने दूसरी महिला से शादी करने का फैसला किया है। इसके साथ ही जज जयमंगलम ने ऑस्ट्रेलिया में एडिलेड फेडरल सर्किट कोर्ट द्वारा दिए गए तलाक को रद्द कर दिया।
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