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Home हिंदी कानून क्या कहता है

जिला जज के ‘अश्लील वीडियो’ के सर्कुलेशन पर दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई रोक, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से क्लिप हटाने के दिए आदेश

Team VFMI by Team VFMI
December 3, 2022
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Establish one-stop centres for registration of crimes against women in every district: Delhi High Court to government (Representation Image)

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दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने राजधानी के एक जिला जज और एक महिला के ‘आपत्तिजनक वीडियो’ को शेयर करने या पोस्ट करने पर रोक लगा दी है। वीडियो में देखी जा रही महिला कर्मचारी ने अपनी निजता पर चिंता जताते हुए हाई कोर्ट में एक अर्जेंट याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर वीडियो को तुरंत नहीं हटाया गया तो उसकी निजता को अपूरणीय क्षति हो सकती है।

क्या है पूरा मामला?

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक अश्लील वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो दिल्ली के एक जिला जज का है। वीडियो में वह एक महिला के साथ अश्लील हरकतें करते हुए CCTV कैमरे में कैद हुए हैं। ये महिला अदालत में कर्मचारी बताई जा रही है। यह वीडियो 29 नवंबर को सामने आया था और सोशल मीडिया न पर इसे शेयर किया गया था। महिला द्वारा दायर याचिका में गूगल और अन्य को 9 मार्च के इस वीडियो के सर्कुलेशन को रोकने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि यह वीडियो 29 नवंबर से सोशल मीडिया के तमाम मंचों और वेब पोर्टल पर सर्कुलेट हो रहा है।

हाई कोर्ट

अदालत ने कहा कि इसके प्रसारण से वादी के निजता के अधिकारों का हनन होगा। हाई कोर्ट ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म को तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है। बुधवार 30 नवंबर को देर रात जारी एक आदेश में जस्टिस यशवंत वर्मा ने पीड़ित पक्ष की पहचान को ‘छिपाने’ की अपील को मंजूरी दे दी। कोर्ट ने कहा कि अंतरिम एकपक्षीय निषेधाज्ञा कि जरूरत है, क्योंकि वीडियो का प्रसारण कई कानूनों का उल्लंघन करता है।

जज ने आगे कहा कि हाई कोर्ट की पूर्ण अदालत ने स्वयं अपने प्रशासनिक पक्ष से घटना का संज्ञान लिया है और कहा कि उसके महापंजीयक ने अधिकारियों से कहा है कि वीडियो को सभी मैसेजिंग और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ इंटरनेट सेवा प्रदाता (isp) पर ‘ब्लॉक’ किए जाने के लिए उचित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

अदालत ने अपने आदेश में आगे कहा कि वीडियो के कंटेंट स्पष्ट रूप से यौन प्रकृति की है जिससे आसन्न, गंभीर एवं व्यक्ति के निजता के अधिकारों के हनन का अंदेशा है। ऐसे में दूसरे पक्ष की राय जाने बिना इस संबंध में फैसला सुनाना ठीक नहीं होगा।

हाई कोर्ट ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि महापंजीयक के संचार के संदर्भ में आगे के सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं और इन कार्यवाहियों में एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

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