UPSC CSE Result 2022: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा 23 मई को घोषित देश की सबसे मुश्किल परिक्षाओं में एक सिविल सेवा परीक्षा 2022 (UPSC CSE 2022 final result) के नतीजों में इशिता किशोर (Ishita Kishore) ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। परीक्षा के घोषित नतीजे के अनुसार, गरिमा लोहिया और उमा हरति एन ने इस प्रतिष्ठित परीक्षा में क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया है। UPSC ने कहा है कि कुल 933 अभ्यर्थियों ने सिविल सेवा परीक्षा पास की है।
यूपीएससी द्वारा सिविल सेवा परीक्षा सालाना तीन चरणों में आयोजित की जाती है, जिनमें अभ्यर्थियों को प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू से गुजरना होता है। इस परीक्षा के जरिए भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय विदेश सेवा (IFS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) समेत अन्य सेवाओं के अधिकारियों का चयन किया जाता है। प्रत्येक योग्य छात्र की सफलता की कहानी एक दूसरे से अलग होती है।
चर्चा में सूरज तिवारी
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के रहने वाले सूरज तिवारी (Suraj Tiwari from Mainpuri) ने भी यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की है, जिनकी चर्चा इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब हो रही है। दरअसल, सूरज ने 2017 में गाजियाबाद के दादरी में एक ट्रेन दुर्घटना में अपने दोनों पैरों के साथ-साथ अपने दाहिने हाथ और बाएं हाथ की दो अंगुलियों को खो दिया था। सिविल सेवा परीक्षा में 917वीं रैंक हासिल करने वाले जिले के कसवा कुरावली निवासी 27 वर्षीय सूरज तिवारी ने ‘कितनी मुश्किल स्थिति हो, लेकिन कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ की मिसाल पेश की है।
सूरज तिवारी के लिए सिविल सेवा परीक्षा में क्वालीफाई करना सात समंदर पार करने से बड़ी बात थी। सूरज तिवारी के दोनों पैर और एक हाथ विकलांग है। अपनी मेहनत और लगन के दम पर उन्होंने आज यह मुकाम हासिल किया है। उनकी सफलता उनके परिवार, दोस्तों और शहर के लिए महत्वपूर्ण थी।
सूरज के पिता ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, “घटना के बाद भी उसका मन कभी छोटा नहीं हुआ। वह हमेशा कहता था कि आप लोग घबराए मत। सूरज जैसा बेटा हर घर में पैदा हो।” वहीं, सूरज की मां ने कहा, “उसके हौसले बुलंद थे, घटना के बाद भी उसने कभी हिम्मत नहीं हारी बल्कि उसने हमें ही हौसला दिलाया कि आप चिंता मत करिए मैं बहुत पैसा कमाऊंगा।”
18-20 घंटे की सेल्फ स्टडी
सूरज तिवारी से इंडिया टीवी से बातचीत में अपना सक्सेस मंत्र शेयर करते हुए बताया, ‘मैंने 18-20 घंटे सेल्फ स्टडी की और कोई कोचिंग क्लास अटेंड नहीं की।’ वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता, राजेश तिवारी एक दर्जी हैं और कुरावली में उनकी एक छोटी सी साड़ी की दुकान है, जिससे परिवार का खर्च चलता है।
2017 में हुआ था हादसा
2017 में जब सूरज नई दिल्ली में अपने कॉलेज से लौट रहे थे, तो 29 जनवरी 2017 को गाजियाबाद के दादरी रेलवे स्टेशन पर उनका एक्सीडेंट हो गया। इस भीषण दुर्घटना में उनके दोनों पैर घुटने के ऊपर से और उनका दाहिना हाथ कोहनी के ठीक नीचे से गंवा दिए, जिससे वे बिस्तर पर पड़ गए और पूरी तरह से अपने परिवार के सदस्यों पर निर्भर हो गए।
इस त्रासदी ने न केवल उनके चलने और लिखने की क्षमता को छीन लिया बल्कि उन्हें अवसाद में भी डाल दिया। 4 महीने तक सूरज का इलाज चला। घर के भी हालात बिगड़ने लगे और कुछ समय बाद सूरज के एक भाई की भी मौत हो गई। उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि यह उनके जीवन का सबसे काला दौर था, लेकिन सूरज ने स्थिति को हरा दिया।
कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की। उन्होंने अपने पहले प्रयास में लिखित परीक्षा पास कर ली, लेकिन इंटरव्यू के लिए कुछ अंकों से चूक गए। अपने दूसरे प्रयास में वह सफल हो गए। रिजल्ट घोषित होने के बाद से उनके परिवार और दोस्त उनकी सफलता का जश्न मना रहे हैं।
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