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Home हिंदी कानून क्या कहता है

पिता अपने बच्चों को गुजारा भत्ता देने से नहीं बच सकते, भले ही उनकी पत्नी कमा रही हो: मद्रास हाईकोर्ट

Team VFMI by Team VFMI
January 9, 2023
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Madras High Court directs State to pay ₹3.5 lakh compensation to man who spent 9 months in prison after acquittal

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मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि अगर पत्नी के पास आय का अपना साधन है, तो भी पिता अपने नाबालिग बच्चों की देखभाल के लिए भरण-पोषण के दायित्व से नहीं बच सकते हैं। कोर्ट इस तरह के कृत्यों को बर्दाश्त नहीं कर सकता है। साथ ही अदालत ने कहा कि मुलाक़ात के अधिकार को भी रखरखाव के भुगतान से जोड़ा नहीं जा सकता है।

क्या है पूरा मामला?

इस कपल ने फरवरी, 2020 में शादी की और उनकी एक बेटी है। अपने 11 महीने के बच्चे के रखरखाव और उसके वैवाहिक मामले को पूनमल्ली से तिरुचि में ट्रांसफर करने की मांग वाली पी गीता द्वारा दायर एक याचिका की अनुमति देते हुए जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने अपने आदेश में कहा कि जब बच्चों की आजीविका, जीवन शैली या शिक्षा संकट में है। तो अदालतों को नाबालिग बच्चे/बच्चों के संरक्षक के रूप में कार्य करना चाहिए और उनके हितों की रक्षा के लिए अंतरिम भरण-पोषण प्रदान करना चाहिए।

हाई कोर्ट

जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने कहा कि रखरखाव प्रदान करने के लिए पति का दायित्व पत्नी की तुलना में एक उच्च पद पर है, भले ही पत्नी कमा रही हो। कोर्ट ने कहा कि मां द्वारा अंतरिम रखरखाव के लिए आवेदन के अभाव में भी अदालतें नाबालिग बच्चे को भरण-पोषण के भुगतान का आदेश दे सकती हैं।

जस्टिस सुब्रमण्यम ने कहा, “भरण-पोषण का उपाय पत्नी और बच्चों को बेसहारा और आवारगी में जाने से रोकने के लिए संविधान के तहत परिकल्पित सामाजिक न्याय का उपाय है। संविधान सामाजिक न्याय और महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण के लिए सकारात्मक राज्य कार्रवाई की परिकल्पना करता है।”

इस संबंध में जज ने पति के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि वह नाबालिग बच्चे की देखभाल करने को तैयार है, लेकिन पत्नी उसे बच्चे को देखने नहीं दे रही है। उसने कहा कि इसलिए, वह अंतरिम रखरखाव का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है। जब तक पत्नी उसे बच्चे से मिलने की अनुमति नहीं देती, तब तक वह अंतरिम रखरखाव का भुगतान करने की स्थिति में नहीं होगा।

दलीलों को रिकॉर्ड करते हुए और उन्हें खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा, “वकील के माध्यम से व्यक्त की गई पति की बात उसके रवैये और आचरण को दर्शाती है। वह कोई और नहीं बल्कि 11 महीने की बच्ची का पिता है। इस तरह का रवैया पति का है।” पति, जो एक लोक सेवक है, किसी भी परिस्थिति में इस न्यायालय द्वारा प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।”

जज पत्नी द्वारा त्रिची में तलाक के मामले को पूनमल्ली अदालत से फैमिली कोर्ट में शिफ्ट करने की मांग करने वाली याचिका पर आदेश पारित कर रहे थे, क्योंकि वह त्रिची में अपने माता-पिता के साथ रह रही है। अदालत ने तब याचिका की अनुमति दी और मामले को त्रिची को शिफ्ट करने का आदेश दिया।

Child Visitation Cannot Be Linked To Maintenance; Husband Duty Bound To Pay Even If Wife Has Own Income: Madras High Court

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