हाई कोर्ट द्वारा स्पर्म या वीर्य कलेक्ट करने की अनुमति देने के दो दिन बाद गुजरात के वडोदरा में एक कोविड-19 मरीज की मौत हो गई। वडोदरा स्थित स्टर्लिंग हॉस्पिटल द्वारा गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर कोरोना मरीज के स्पर्म को सरंक्षित किया गया था। कोर्ट ने ये आदेश मरीज की पत्नी की याचिका पर दिया था। हालांकि, मरीज का स्पर्म कलेक्ट करने के दो दिन बाद उसकी मौत हो गई। यह मामला जुलाई 2021 का है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 32 वर्षीय एक व्यक्ति कोरोना वायरस से पीड़ित था। उसकी पत्नी चाहती थीं कि उनके पति का स्पर्म कलेक्ट कर सुरक्षित रख लिया जाए। महिला ने अस्पताल से ये इच्छा जाहिर भी की थी। लेकिन अस्पताल ने इसके लिए पति की सहमति को आवश्यक बताया। अब दिक्कत ये थी कि महिला के पति इसकी सहमति देने की हालत में नहीं थे। इस हाल में महिला ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
पत्नी ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की थी कि उनके पति का स्पर्म सुरक्षित किए जाएं, क्योंकि वह कृत्रिम रूप से अपने बच्चे को जन्म देना चाहती थीं। महिला का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील निलय पटेल ने पीटीआई को बताया था कि अस्पताल ने हमें सूचित किया कि हाई कोर्ट द्वारा आदेश देने के तुरंत बाद उन्होंने मेरे मुवक्किल के पति का स्पर्म निकाला था। लेकिन इसके तुरंत बाद उसका निधन हो गया।
महिला ने याचिका में क्या कहा?
महिला का पति कोरोनोवायरस संक्रमण के बाद मल्टी-ऑर्गन फेल्योर से पीड़ित होने के बाद स्टर्लिंग अस्पताल में लाइफ सपोर्ट पर था। इसके बाद महिला ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया। महिला ने कहा कि वह इन विट्रो फर्टिलाइजेशन मेथड (IVF) या असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) प्रक्रिया के जरिए पुरुष का बच्चा चाहती है, लेकिन वह अपने स्पर्म कलेक्शन के लिए सहमति देने की स्थिति में नहीं है।
अपनी याचिका में, उसने कहा कि डॉक्टरों ने परिवार को सूचित किया था कि मरीज के बचने की संभावना कम है, और इसलिए उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया है जब अस्पताल ने उसके स्पर्म कलेक्शन करने के लिए कानूनी आदेश की मांग की।
महिला ने अदालत के समक्ष कहा था कि उसके पति को कोरोना वायरस के तेज लक्षणों के बाद 10 मई, 2021 से वडोदरा स्थित अस्पताल में क्रिटिकल केयर यूनिट में भर्ती कराया गया था और उसकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी।
गुजरात हाई कोर्ट
जस्टिस आशुतोष जे. शास्त्री की पीठ ने पति की असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए याचिका को स्वीकार करने की अनुमति दे दी। महिला को तत्काल सुनवाई की अनुमति देते हुए जस्टिस शास्त्री ने अस्पताल को पुरुष के स्पर्म को इकट्ठा करने और उसे तुरंत सुरक्षित करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अंतरिम राहत एक असाधारण अत्यावश्यक स्थिति में दी जाती है और यह याचिका के परिणाम के अधीन होगी।
अस्पताल का बयान
स्टर्लिंग अस्पताल के जोनल डायरेक्टर अनिल नांबियार ने मीडिया को बताया था कि अदालत का आदेश मिलने के कुछ घंटों के भीतर डॉक्टरों ने मरीज के स्पर्म को सफलतापूर्वक निकाल लिया। उन्होंने कहा कि मरीज के परिवार ने प्रक्रिया को अंजाम देने का फैसला किया लेकिन हमें उस व्यक्ति की सहमति की जरूरत थी जिस पर यह प्रक्रिया की जानी है। चूंकि वह गंभीर है और अपनी सहमति नहीं दे सकता है, हम ऐसा तभी कर सकते हैं जब अदालत अनुमति दे।
1 अगस्त तक का अपडेट
गुजरात हाई कोर्ट ने इस याचिका का निपटारा करते हुए 29 जुलाई 2021 के एक आदेश में कहा था कि चूंकि अब ऐसा ही किया जा चुका है, इसलिए कोई कानूनी बाधा नहीं है जो महिला को अपने पति के स्पर्म के माध्यम से एक बच्चा पैदा करने के लिए IVF प्रक्रिया से गुजरने से रोक सके।
आपको बता दें कि इसी तरह का एक मामला 2019 में भी सामने आया था, जहां महाराष्ट्र की एक फैमिली कोर्ट ने एक महिला को अपने पति के साथ IVF के लिए अपना स्पर्म दान करने का निर्देश देकर दूसरा बच्चा पैदा करने की याचिका की अनुमति दी थी।
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