यह मामला 2014 का है जब आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट (Andhra Pradesh High Court) के एक मौजूदा जज की बहू ने अपने पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न (Dowry Harassment) की शिकायत दर्ज कराई थी।
क्या है पूरा मामला?
चेन्नई की रहने वाली 30 वर्षीय काव्या राव (Kavya Rao) की शादी हाईकोर्ट के जज (जस्टिस बी चंद्र कुमार) के बेटे के साथ 2007 में हुई थी और दंपति की एक बेटी है। उसने जनवरी 2014 में चेन्नई पुलिस कमिश्नर ऑफिस में अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी।
पत्नी का आरोप
काव्या के मुताबिक, उनकी शादी के दौरान उसके माता-पिता ने दहेज के रूप में 43.5 लाख रुपये दिए थे, लेकिन जज, उनकी पत्नी और अन्य रिश्तेदारों ने 50 लाख रुपये और मांगे। काव्या ने यह भी कहा कि 2008 में उनके पति की नौकरी चली गई और इसलिए वे बैंगलोर से हैदराबाद चले गए। काव्या ने आरोप लगाया कि तभी से उसका उत्पीड़न शुरू हुआ और उसके ससुराल वालों ने उस पर कम से कम 50 लाख रुपये तुरंत लाने का दबाव बनाया।
काव्या ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि चूंकि उसका परिवार इतने पैसे की व्यवस्था नहीं कर सका, इसलिए उसके ससुराल वालों ने उसे भूखा मरने के लिए मजबूर किया। लेकिन कुछ समय बाद उसके माता-पिता ने उसे ससुराल के पैसे कई बार में दे दिए। हालांकि इसके बाद भी जब वह इस पीड़ा को सहन नहीं कर सकी तो वह अपने माता-पिता के साथ रहने के लिए चेन्नई लौट आई।
आरोपों में कहा गया है कि पैसे देने के बाद भी उसकी परेशानी खत्म नहीं हुई और उसके ससुर (जज) ने उसके पिता के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई। उसके ससुर के कहने पर उसके पिता के खिलाफ अपहरण और चोरी के मामले दर्ज किए गए। पत्नी ने जज पर चेन्नई पुलिस को प्रभावित करने का भी आरोप लगाया है। उसने अपने पति पर एक सप्ताह पहले चेन्नई में उसके घर आने और उसमें तोड़फोड़ करने का भी आरोप लगाया।
काव्या ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि उसका पति और सास-ससुर उसकी नाबालिग बेटी का अपहरण करने का प्रयास कर रहे थे।
पति का बयान
काव्या के पति बी. रामकृष्ण ने उनके और उनके परिवार पर लगे सभी आरोपों का खंडन किया था। रामकृष्ण (जो तब आईआईटी-दिल्ली से पीएचडी कर रहे थे) ने कहा कि उनकी पत्नी के साथ हुई बातचीत में दहेज उत्पीड़न के आरोप कभी नहीं लगे। उन्होंने आगे कहा कि उनकी अलग हुई पत्नी ने हाल ही में उन्हें आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए एक नोट भेजा था जिसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि दोनों के बीच कोई लेन-देन नहीं होगा।
आगे बताते हुए पति ने कहा कि दरअसल नवंबर 2013 (दहेज मामले से 2 महीने पहले) में उसने काव्या के परिवार को धमकी देने के लिए जिन्नाराम थाने में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। वैवाहिक अधिकारों की बहाली और उनकी बेटी की कस्टडी के लिए मामला पहले से ही मेडक कोर्ट में लंबित था। रामकृष्ण ने यह भी आरोप लगाया कि काव्या और उनके रिश्तेदार उन्हें अपने बच्चे को देखने नहीं दे रहे थे।
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ARTICLE IN ENGLISH:
2014 | Andhra Pradesh HC Judge’s Daughter-in-Law Filed Dowry Harassment During Pendency Of Child Custody Case
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