दहेज उत्पीड़न की तरह यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा के लिए बना प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस (POCSO Act) एक्ट भारत में आपसी विवाद में सबक सिखाने और पति एवं ससुरालवालों को ब्लैकमेल करने का एक हथियार बनता जा रहा है। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में पिछले साल पॉक्सो एक्ट के तहत कुल 4,145 मामले दर्ज हुए, जिनमें से सिर्फ 1,053 (25.4%) मामलों में पुलिस ने FR पेश की। वहीं, भरतपुर एवं अलवर में प्रदेश के औसत से लगभग 18 फीसदी ज्यादा मामले पुलिस की जांच में फर्जी निकले। भरतपुर जिले में 2022 में पॉक्सो एक्ट के 231 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 99 (42.9%) में पुलिस ने नकारात्मक अंतिम प्रतिवेदन (FR) पेश किया।
फर्जी रिपोर्ट लिखवाने वालों के खिलाफ नहीं हो रही कार्रवाई
दैनिक भास्कर की पड़ताल में खुलासा हुआ कि दर्ज कराए गए फर्जी माममों में ज्यादातर मामले प्रॉपर्टी, लेन-देन, राजनीतिक, पारिवारिक रंजिश या ब्लेकमेलिंग से जुड़े हैं। पड़ताल में पता चला कि सबसे अधिक बदला लेने के लिए झूठे केस दर्ज करवाए जा रहे हैं। अखबार के मुताबिक, पॉक्सो एक्ट मामले में फर्जी रिपोर्ट लिखवाने वाले एक भी व्यक्ति के खिलाफ अब तक सख्त कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस ने सिर्फ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 182/211 के तहत न्यायालयों में इस्तगासे जरूर पेश किए हैं। वहीं, अलवर के खेड़ली थाने में फर्जी रिपोर्ट देने वाली एक महिला पर कोर्ट ने सिर्फ 100 रुपए का जुर्माना लगाया है।
फर्जी मामलों पर पुलिस का बयान
भरतपुर के उच्चैन थाने में एक महिला ने गांव के एक व्यक्ति के खिलाफ अपनी नाबालिग बेटी के साथ रेप का प्रयास करने का केस दर्ज करवाया था। बाद में पुलिस जांच में मामला खेत की मेड़ पर पुराने विवाद का निकला। भरतपुर के एसपी श्याम सिंह ने कहा कि पॉक्सो एक्ट के जिन मामलों में एफआर लगती है उनमें से ज्यादातर रंजिश के होते हैं। पॉक्सो केस होते ही जांच की जाती है कि दोनों पक्षों के बीच कोई आपसी विवाद तो नहीं है। इससे इस साल अपेक्षाकृत रूप से कम झूठे केस दर्ज हो रहे हैं।
महिलाओं ने सबसे अधिक दर्ज कराए फर्जी मामले
अलवर के खेड़ली थाने में एक महिला ने पड़ोसी पर नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार का केस दर्ज करवाया। लेकिन जांच के दौरान मेडिकल में रेप की पुष्टि नहीं हुई। इतना ही नहीं घटना के बारे में पुलिस के सामने दिए गए मां और बेटी के बयान भी विरोधाभासी थे। पुलिस ने जांच की तो सामने आया कि कथित आरोपी के परिवार से महिला की आए दिन कहासुनी होती रहती थी। सबक सिखाने के लिए फर्जी केस कर दिया।
अलवर के एसपी आनंद शर्मा ने कहा कि शिकायत आने पर मुकदमा दर्ज करते हैं। जांच में आरोप प्रमाणित नहीं होते हैं तो एफआर पेश करते हैं। अधिकारी ने कहा कि 182/211 की कार्रवाई की जाती है ताकि झूठा मुकदमा करने वाले को सबक मिले और भविष्य में कोई और ऐसा नहीं करे।
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