कुछ महिलाओं के लिए रेप के झूठे आरोप लगाना एक फैशन सा बन गया है, लेकिन जिस व्यक्ति पर बलात्कार के झूठे आरोप लगते हैं उस पर जो समाज का एक बार कलंक लग जाता है उसे शायद ही कभी मिटाया जा सके। मुंबई से हाल ही में सामने आए एक मामले में, 24 वर्षीय एक निर्दोष व्यक्ति को बरी कर दिया गया जब उसकी छोटी बहन ने उसके खिलाफ झूठे बलात्कार का मामला दर्ज करने की बात कबूल कर ली।
दो साल पहले शख्स को अपनी नाबालिग बहन के साथ बार-बार रेप करने के आरोप में जेल भेजा गया था। अब पॉक्सो कोर्ट में आरोप लगाने वाली बहन ने स्वीकार किया है कि ये केस झूठा था और बलात्कार का आरोप उसने अपने प्रेमी के कहने पर लगाया था। अदालत में इस बात के सामने आने के बाद कोर्ट ने आरोपी भाई को रिहा करने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 2019 में एक नाबालिग लड़की ने अपने बड़े भाई के खिलाफ FIR दर्ज करा आरोप लगाई थी कि जब उसके माता-पिता घर पर नहीं थे तो उसने उसका यौन उत्पीड़न किया। लड़की का आरोप था कि उसके भाई ने उसके साथ उस वक्त रेप किया जब उसकी मां नाइट शिफ्ट में ड्यूटी कर रही थी और पिता घर से बाहर थे। उस समय 22 वर्षीय व्यक्ति को अपनी बहन से बलात्कार करने के आरोप में POCSO के तहत गिरफ्तार किया गया था और वह पिछले दो सालों से जेल में बंद था।
हालांकि, मामले की दो साल तक सुनवाई होने के बाद अब बहन अपने आरोपों से पलट गई है। रेप का आरोप लगाने वाली युवती ने कोर्ट में कहा कि वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ बाहर घूमने जाती थी, जिसपर उसका भाई उसे रोकता था। इसके कारण वह भाई से नाराज रहती थी।
युवती का कहना है कि प्रेमी के कहने पर ही उसने भाई के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया था। लड़की की इस बात पर अदालत ने मुकदमे को ही गलत माना और युवक को रिहा करने का आदेश दिया। उसने इस बात से भी इनकार किया कि FIR दर्ज होने के बाद अस्पताल में कोई मेडिकल जांच की गई थी।
मुंबई कोर्ट ने किया बरी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, डिंडोशी की एक विशेष अदालत (special court in Dindoshi) ने पिछले हफ्ते उपरोक्त आदेश पारित किया, जिसमें बलात्कार के आरोप और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा POCSO के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को बरी कर दिया।
अदालत ने कहा कि यह साबित के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया कि लड़की 2018 में नाबालिग थी, जब यह कथित घटना हुई थी। अदालत ने कहा कि लड़की की गवाही भरोसेमंद नहीं थी, क्योंकि इसमें विरोधाभास था।
कोर्ट ने कहा कि लड़की खुद अपने बयान से मुकर गई है, इसलिए मैं यह मानने के लिए विवश हूं कि पीड़िता की विरोधाभासी, अविश्वसनीय गवाही और अपर्याप्त सबूतों के कारण, आरोपी के खिलाफ अपराध साबित नहीं हुआ है। दो साल की जेल की हवा खाने के बाद युवक को तो बरी कर दिया गया है, लेकिन झूठे आरोप लगाने वाली युवकी को कोई सजा नहीं हुई।
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