मध्य प्रदेश के अशोक नगर (Ashok Nagar) जिले की एक सत्र अदालत ने 2014 में झूठी गैंगरेप की शिकायत दर्ज कराने वाली एक महिला और उसके दामाद को 10 साल जेल की सजा सुनाई है, जिसके आधार पर पुलिस ने 4 निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया था। जब तक इस तरह के मामलों में सख्त सजा नहीं दी जाती है, तब तक महिलाओं के लिए झूठे बलात्कार और गैंगरेप के मामले दर्ज करने से कोई रोक नहीं सकता।
क्या है पूरा मामला?
अशोक नगर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 150 किलोमीटर दूर स्थित एक जिला है। अशोक नगर जिले के अतिरिक्त जिला अभियोजक मोहम्मद आजम के अनुसार, आरोपी महिला (गुड्डी ओझा) और उसका दामाद (गोपाल रजक) एक दूसरे के रिश्ते में थे और उन्होंने 2014 में अपने 4 पड़ोसियों को फंसाने का फैसला किया क्योंकि उन्हें उनका साथ नहीं मिला। सूत्रों ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट बलात्कार की ओर इशारा कर रही थी, इसलिए शिकायतकर्ता के कपड़े और स्वाब जांच के लिए एकत्र किए गए।
आरोपियों ने पुलिस को डीएनए टेस्ट के लिए आवेदन दिया था, इसके बाद उन्हें इसकी अनुमति मिल गई। रिपोर्ट में सामने आया कि महिला से आरोपियों का डीएनए मैच नहीं हो रहा। दूसरी ओर पुलिस को उसके दामाद गोपाल पर संदेह हुआ। आगे की जांच के लिए पुलिस ने महिला के दामाद गोपाल से डीएनए टेस्ट के लिए अपना सैंपल देने के लिए कहा। जिसके बाद पुलिस ने गोपाल का डीएनए टेस्ट करवाया और ये टेस्ट महिला से मैच हो गया।
इतना ही नहीं पूछताछ के दौरान गोपाल ने अपनी सास के साथ शारीरिक संबंध बनाने की बात कबूल की। चारों पड़ोसियों ने अगस्त 2014 में दर्ज की गई FIR की जांच के दौरान महिला के झांसे में आने की बात कही। पुलिस जांच में यह बात सामने आई कि शिकायतकर्ता और उसके दामाद ने नया हैंडपंप लगाने को लेकर हुए विवाद में अपने चारों पड़ोसियों को झूठे मामले में फंसाने की बात स्वीकार की।
कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा
अशोक नगर के पहले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश महेश कुमार चौहान (judge Mahesh Kumar Chauhan) ने बुधवार को गुड्डी ओझा और उसके दामाद गोपाल रजक को दोषी ठहराने और आपराधिक साजिश रचने के लिए सबूत गढ़ने के आरोप में 10 साल जेल की सजा सुनाई। इसके अलावा कोर्ट ने लोक सेवक को झूठी सूचना देने पर 6 महीने जेल की सजा सुनाई।
लोक अभियोजक जफर कुरैशी (Public prosecutor Jafar Qureshi) ने कहा कि यह एक दुर्लभ मामला है जहां पुलिस ने एक महिला पर झूठा मामला दर्ज करने और झूठा सबूत पेश का आरोप लगाया और मामले को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया। 2011 में अपने पति को खोने वाली महिला ने अगस्त 2014 में शिकायत दर्ज कराई कि उसके पड़ोस में रहने वाले चार लोगों ने उसके साथ गैंगरेप किया।
महिला की शिकायत पर पुलिस ने धारा 376 डी (Section 376 D) के तहत FIR दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। बाद में महिला की मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुई और आगे की जांच के लिए उसके कपड़े और योनि स्वाब ले लिए गए। हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि बचाव पक्ष के वकील टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।
कुरैशी ने आगे कहा कि हालांकि, आरोपियों ने जोर देकर कहा कि वे निर्दोष हैं और सच्चाई को साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट के लिए अशोक नगर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से संपर्क किया, जिसके बाद जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि महिला के साथ चारों आरोपियों ने नहीं बल्कि किसी और ने गैंगरेप किया है।
पुलिस ने जताई खुशी
गोपाल रजक का सैंपल महिला के कपड़ों से एकत्र किए गए शुक्राणु के सैंपल से मेल खा गया। इसके बाद गोपाल रजक को गिरफ्तार कर लिया गया। मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी वीपी सिंह जाट ने कहा कि पूछताछ के दौरान, गोपाल ने कबूल किया कि वह गुड्डी के साथ रिश्ते में था और उन्होंने अपने पड़ोसियों को फंसाने के लिए एक झूठा मामला दर्ज किया, जो गुड्डी और गोपाल के साथ छोटे-छोटे मुद्दों पर लड़ते रहते थे।
अधिकारी ने याद किया कि कैसे यह जिले में राजनेताओं और आम लोगों द्वारा बारीकी से देखा जाने वाला मामला था, और इसने एक आश्चर्यजनक मोड़ कैसे लिया। अधिकारी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला था, क्योंकि महिला ने आरोप लगाया था कि चारों आरोपी उसके घर में घुस आए और रात में उसके साथ गैंगरेप किया।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान, हमें कई गवाह भी मिले जिन्होंने कहा कि चारों आरोपी एक साथ एक ही जगह पर मौजूद नहीं थे, लेकिन यह डीएनए टेस्ट था जिसने धोखाधड़ी का खुलासा किया। अधिकारी ने कहा कि हमें खुशी है कि हम कानून का दुरुपयोग करने के लिए महिला और पुरुष को दंडित करने में सफल रहे।
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