वैवाहिक लड़ाई का स्तर अब आए दिन गिरता जा रहा है। खासकर जब कानून पूरी तरह से पत्नियों के पक्ष में पक्षपाती हैं। महिलाओं के लिए कानून एक खिलौना सा बन गया है जिसके आड़ में वह झूठे बयानों और दस्तावेजों के जरिए अदालतों को अपने पक्ष में फैसला सुनाने पर मजबूर कर देती हैं और बेकसूर होने के बावजूद पतियों को सालों तक जेल की हवा खानी पड़ती हैं। हालांकि, हमें उन स्थानीय चैनलों को श्रेय देना चाहिए जो जमीनी स्तर पर, झूठे मामलों और पति के परिवार पर उत्पीड़न को कवर कर रहे हैं। ऐसी ही एक रिपोर्ट पहचान फरीदाबाद (Pehchaan Faridabad) ने सामने रखी है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला दिल्ली-NCR में स्थित फरीदाबाद का है, जहां एक पीड़ित व्यक्ति का परिवार अपने बेटे की अल्पकालिक शादी और बहू द्वारा दर्ज कराए गए कथित झूठे मामलों के कारण उत्पीड़न पर स्थानीय मीडिया से बात कर रहा है। भाई ने बताया कि पति पिछले 3 महीने से जेल में है।
उसने कहा कि मेरे भाई की शादी 2014 में हुई थी और यह जोड़ा मुश्किल से कुछ महीनों तक ही साथ रहा। भाई की पत्नी एक दिन अचानक अकेले ही घर से निकल गई और उसके बाद उसका परिवार हमारे यहां पूछताछ करने आया। जब हमने उन्हें बताया कि हमें उसे बारे में जानकारी नहीं है, तो उन्होंने हमारे खिलाफ महिला थाने में शिकायत दर्ज करा दी और वहां लगभग 2-3 साल तक केस चलता रहा। जब चीजें उनके पक्ष में नहीं हुईं, तो महिला और उसके परिवार ने अदालत में एक नया मामला दायर किए।
उसके बाद हम उसको खर्चा भी देते थे। इसके बावजूद उसने मेरे भाई के कंपनी में जाकर उसकी नौकरी छुड़वा दी। फिर मेरा भाई जहां भी काम करने जाता था वह वहां पहुंचकर उसे परेशान करती था और बाद में उसकी नौकरी चली जाती थी।
भाई ने बताया कि महिला ने अदालत को सूचित किया है कि वह काम नहीं कर रही है। हालांकि, आज हमने उसे एक प्रॉपर्टी डीलर के कार्यालय में काम करते हुए रंगे हाथों पकड़ा है। हमारा भाई तीन महीने से झूठे मुकदमों के कारण जेल में है।
वह हर बार जज से कहती है कि उसे अपने पति के साथ रहने में कोई दिलचस्पी नहीं है और वह चाहती है कि मेरा भाई तब तक जेल में रहे जब तक वह भरण-पोषण का भुगतान नहीं कर देता। उसने आगे कहा कि हम कुछ दिनों से उसे देख रहे थे और आज हमने उसे चकमा देकर काम करते हुए उसे पकड़ लिया है। भाई ने कहा कि हमने उसे स्कूटी पर दूसरे आदमी के साथ भी देखा है।
आदमी की बहन आगे कहती है, महिला मुश्किल से 4 महीने भी मेरे भाई के साथ रही है। हमने उसे हर बार किसी दूसरे आदमी के साथ कोर्ट में आते देखा है। उसने दहेज का झूठा मामला और भरण-पोषण का मामला जैसे कई मामले दर्ज कराए हैं। वह कहती हैं कि हमें सेटलमेंट में 35 लाख रुपये दें। फिर भाई आगे कहता है कि जैसे ही एक मामला खत्म होता है, वह और उसका वकील दूसरा मामला दर्ज करा देते हैं।
जेल में बंद व्यक्ति के पिता ने कहा कि कोर्ट को देखना चाहिए कि वह कैसे झूठ बोल रही है कि वह बेरोजगार है। आज हमने उसे रंगेहाथ पकड़ लिया है। हम चाहते हैं कि हमारा बच्चा जेल से बाहर आए। पूरा परिवार 8 साल से परेशान है और महिला तभी से 3,000 रुपये प्रति माह ले रही है।
पिता ने कहा कि उनका बेटा पिछले तीन साल से बेरोजगार है। उनके अनुसार, जब तक वह भुगतान नहीं कर देता, न्यायाधीश उसे रिहा करने के लिए तैयार नहीं है। वे सवाल करते हैं कि अगर जज उसे बाहर आने और काम खोजने की अनुमति नहीं देते हैं तो वह भुगतान कैसे कर सकता है?
(अस्वीकरण: यह पति के परिवार के साथ एकतरफा इंटरव्यू है।)
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