मैरिटल रेप (Marital Rape) पर जारी बहस के बीच अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पीएफ सैय्यद (MaritalRape) ने बलात्कार के मामले में पिछले हफ्ते नागपुर के एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका को मंजूरी दे दी। कोर्ट ने शख्स को अग्रिम जमानत मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर दी थी, जिसमें उसने पाया कि वह इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile Dysfunction) यानी स्तंभन दोष से पीड़ित है।
ऐसे मामले सोशल मीडिया वारियर्स के लिए समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि भारत में न्यायपालिका कैसे काम करती है। प्रत्येक मामले में समय सीमा क्या है और लगभग हर झूठे आरोप लगाने वाले को कैसे सजा नहीं मिलती है। जब तक इन मुद्दों का समाधान नहीं किया जाता है, अतिरिक्त पक्षपातपूर्ण कानून लाना केवल पुरुषों और उनके परिवारों के जीवन को निराशाजनक बनाने वाला है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, पिछले साल उसकी घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली एक महिला की शिकायत के बाद नागपुर में मनोवैज्ञानिक प्रदीप मखीजानी (Pradeep Makhijani) पर बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था। वह पिछले साल सितंबर में मखीजानी के साथ हाउसकीपर और हेल्प के तौर पर जुड़ी थीं।
अपनी शिकायत में महिला ने दावा किया कि पिछले साल अक्टूबर में मखीजानी द्वारा उसका यौन शोषण किया गया था, जिसके बाद उसने अगले महीने काम छोड़ दिया। उसने यह भी दावा किया कि मखीजानी ने उसका बकाया भी नहीं चुकाया।
अदालत ने अन्य आधारों के साथ हाई डायबिटीज और स्तंभन दोष (erectile dysfunction) की पैथोलॉजिकल और क्लिनिकल रिपोर्टों पर विचार करते हुए आवेदक को गिरफ्तारी से पहले राहत दी। उन्होंने दिसंबर में जरीपटका थाने में 31 वर्षीय महिला की शिकायत पर अपने खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तारी की आशंका जताई है।
आवेदक ने वकील जितेश दुहिलानी के माध्यम से पहले अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि वह 2019 से ईडी से पीड़ित है, जिससे वह नपुंसक हो गया है।
नागपुर कोर्ट का आदेश
अदालत ने अग्रिम जमानत देते हुए आवेदक को 25,000 रुपये के व्यक्तिगत और ज़मानत बांड के साथ-साथ समान राशि की एक सॉल्वेंट ज़मानत जमा करने का आदेश दिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आवेदक से हर गुरुवार को चार्जशीट दाखिल होने तक पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने का भी आग्रह किया गया था।
अदालत ने मखीजानी को अपने मोबाइल फोन को जांच अधिकारी को सौंपने और जांच के दौरान पुलिस द्वारा उसके लिए निर्धारित मेडिकल एग्जामिनेशन में शामिल होने के उपक्रम पर विचार करते हुए जमानत दे दी। उनसे नियमित रूप से शिकायतकर्ता में डर पैदा करने या किसी गवाह को प्रभावित करने से बचने का भी आग्रह किया गया था।
अतिरिक्त लोक अभियोजक एएम माहुरकर ने पहले तर्क दिया था कि जांच प्रक्रिया अभी भी चल रही है और आरोपी का मोबाइल फोन उसके पास से बरामद किया जाना आवश्यक है। बचाव पक्ष के वकील दुहिलानी ने दलील दी थी कि गिरफ्तारी से निर्दोष होने के बावजूद आवेदक को हर तरह की असुविधा होगी।
अदालत ने जमानत देते हुए यह भी कहा कि आवेदक से हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं है और जांच एजेंसी को मामले की जांच के लिए पर्याप्त समय मिल गया है।
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ARTICLE IN ENGLISH:
Man With Erectile Dysfunction Granted Pre-Arrest Bail In Rape Case By Nagpur Court
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