2020 में नवी मुंबई पुलिस विभाग के महिला निवारण सेल (Women Redressal Cell) को प्राप्त कुल शिकायतों में से 30 प्रतिशत पुरुषों द्वारा अपने जीवनसाथी यानी पत्नियों के खिलाफ दर्ज की गई थी। इन शिकायतों में पत्नी समय पर खाना नहीं बनाती, पत्नी सोशल मीडिया पर व्यस्त रहती है और परिवार पर ध्यान नहीं देती है या उसका एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हैं जैंसी शिकायतें शामिल थी। यह खुलासा फरवरी 2021 में एक रिपोर्ट में हुआ था।
सेल को आमतौर पर उन महिलाओं से शिकायतें प्राप्त होती हैं, जो दुर्व्यवहार और घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं या अपने जीवनसाथी के साथ वैवाहिक कलह की वजह से परेशान होती हैं। पुलिस ने दावा किया कि घर से काम करने वाले ज्यादातर लोगों के साथ पुरुषों की शिकायतें बढ़ीं हैं।
बता दें कि पिछले साल लॉकडाउन ने सभी को घर पर रहने के लिए मजबूर कर दिया था। जिसके बाद लोग सोशल मीडिया और मनोरंजन के अन्य छोटे साधनों से चिपककर रह गए थे। जहां कुछ कपल कठिन समय से गुजरने में कामयाब रहे। वहीं, कुछ पुलिस थानों और अदालतों तक पहुंच गए।
महिला सेल की वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक मीरा बंसोड़े ने कहा कि 2020 में हमें कुल 633 आवेदन प्राप्त हुए। जबकि आमतौर पर यह माना जाता है कि महिला सेल महिलाओं के लिए होती है, लेकिन सेल में आने वाले कुल मामलों में से लगभग 30 प्रतिशत महिलाओं के खिलाफ पुरुषों के थे। 633 आवेदनों में से लगभग 180 शिकायतें उन पुरुषों की थीं जिनके पास पत्नियों के खिलाफ मुद्दे थे और वे समस्याओं का सामना कर रहे थे।
सेल के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पुरुषों की ज्यादातर शिकायतें पत्नी को लेकर घर का काम न करने, समय पर खाना न बनाने, सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने या एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को लेकर थीं। सेल का मुख्य उद्देश्य घरेलू विवादों को सुलझाना और कपल को सौहार्दपूर्ण शर्तों पर वापस आने में मदद करना है। बंसोडे ने आगे कहा कि हम किसी का पक्ष नहीं लेते हैं। हम केवल उनके बेहतर भविष्य की सलाह देते हैं।
अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा मामले सोशल मीडिया के जरिए सामने आए। या तो पति सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिता रहा था या पत्नी उससे चिपकी हुई थी। लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर लोग व्हाट्सएप, फेसबुक और अन्य एप में व्यस्त रहे। उन्होंने कहा कि अन्य दिनों में पति-पत्नी घर से दूर रहते थे और इसलिए उन्हें नहीं पता कि एक-दूसरे के जीवन में क्या हो रहा था।
2020 में कुल 633 मामलों में से 625 को विभिन्न माध्यमों से सुलझाया गया। जबकि 169 की सफलतापूर्वक काउंसलिंग की गई, उनमें से 81 पुलिस थानों में गए और 383 ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। बंसोडे ने आगे बताया कि जब काउंसलिंग से कोई फर्क नहीं पड़ता तो कपल या तो थाने जाते हैं, जहां फिर से मतभेदों को सुलझाने का प्रयास किया जाता है या फिर मामला दर्ज कर लिया जाता है। अन्यथा, वे तलाक के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं।
इस बीच, 2019 में, महिला सेल में कुल 721 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से सभी को विभिन्न माध्यमों से हल किया गया था। जबकि 308 सफल काउंसलिंग में समाप्त हुए, 134 ने पुलिस थानों का दरवाजा खटखटाया और 477 ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। महिला सेल का नेतृत्व बंसोडे करते हैं और इसमें कुल छह कर्मचारी हैं जिनमें पांच महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं। बंसोडे ने महसूस किया कि उन्हें प्रतिदिन प्राप्त होने वाले आवेदनों की संख्या के लिए कम स्टाफ दिया गया था।
ऐसी आईं शिकायतें
नेरुल के एक कारोबारी ने शिकायत दर्ज कराई कि उसकी पत्नी ने समय पर खाना नहीं बनाया। पति की शिकायत पर गृहिणी महिला ने दोपहर 12 बजे नाश्ता, शाम को 4 बजे दोपहर का भोजन और आधी रात के बाद रात का खाना बनाया। एक अधिकारी ने कहा कि पति अक्सर खाना मंगवाता था, क्योंकि उनके 12 और 15 साल के बच्चे सुबह उठने के बाद भूखे रहते थे। वह अक्सर अपनी मौसी के घर भोजन के लिए भी जाता था, जो उसकी पत्नी को कभी पसंद नहीं था। काउंसलिंग की कुछ बैठकों के बाद, वे पारस्परिक रूप से समायोजित करने के लिए सहमत हो गए।
इसी तरह घनसोली के तीसवें दशक में एक पेशेवर ड्राइवर ने अपनी पत्नी से शादी के बाद बीएड किया और उसे एक टीचर की नौकरी दिलाने में भी मदद की। बीएड की पढ़ाई के दौरान वह अपने सीनियर से मिली और उसके साथ उसका अफेयर शुरू हो गया। धीरे-धीरे उसने अपने पति से बचना शुरू कर दिया। उससे कहा कि वह एक रिश्ते में है और इसलिए उसे नहीं छूना चाहिए, बल्कि उसकी और उसके बच्चे की देखभाल करनी चाहिए और वह भी उसके घर में ही रहेगी।
अधिकारी ने बताया कि हमने कपल की काउंसलिंग की लेकिन पत्नी ने सहयोग नहीं किया। उसने तलाक के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उपरोक्त लेख को सबसे पहले हिन्दुस्तान टाइम्स ने प्रकाशित किया था।
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