सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछले साल एक आदेश में कहा था कि अगर एक बेटी यह उम्मीद करती है कि उसके पिता उसकी पढ़ाई लिखाई (education) का समर्थन करें, तो उसे भी एक बेटी के रूप में अपनी भूमिका निभानी होगी। शीर्ष अदालत एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी, जहां एक जोड़े ने शादी की और उनसे उनकी एक बेटी थी। इसके तुरंत बाद पत्नी अपनी बेटी के साथ अपने पैतृक घर चली गई और वहीं रहने लगी। यह मामला दिसंबर 2021 का है।
क्या है पूरा मामला?
पत्नी के ससुराल से चले जाने के बाद पति ने दाम्पत्य अधिकारों की बहाली के लिए एक याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया। बाद में उन्होंने जिला जज के समक्ष विवाह भंग करने की याचिका दायर की। याचिका को परित्याग के आधार पर अनुमति दी गई थी। हालांकि, पत्नी द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया, जिससे पति को अपील में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता सेंटर के समक्ष तलाक की याचिका लंबित होने और सुलह के प्रयासों के साथ बेंच ने पहले पिता को 20 वर्षीय बेटी के शिक्षा खर्च का भुगतान करने का निर्देश दिया था। जस्टिस संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की बेंच को बताया गया कि दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता विफल हो गई है।
पति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील निधेश गुप्ता ने कहा कि बेटी ने पिता से मिलने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर वह उम्मीद करती है कि उसके पिता उसकी शिक्षा और शादी का खर्च उठाएंगे, तो यह एकतरफा रास्ता नहीं हो सकता। गुप्ता ने आगे कहा कि वह उसे वीडियो कॉल माय लॉर्ड पर भी नहीं देखती है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेटी को इस बात की भी सराहना करनी चाहिए कि अगर वह पिता/अपीलकर्ता से उसकी शिक्षा में सहयोग की अपेक्षा कर रही है, तो उसे भी बेटी की भूमिका निभानी होगी।
पक्षों के वकील मध्यस्थता का एक और प्रयास करने के लिए सहमत होने के बाद कोर्ट ने मामले को फिर से सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता सेंटर के समक्ष रखने का निर्देश दिया। मध्यस्थ को अब पिता और बेटी के बीच विशेष बातचीत की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है।
ARTICLE IN ENGLISH:
https://mensdayout.com/read-order-if-adult-daughter-expects-father-to-support-her-education-she-also-has-to-play-role-as-a-daughter-supreme-court/
Join our Facebook Group or follow us on social media by clicking on the icons below
If you find value in our work, you may choose to donate to Voice For Men Foundation via Milaap OR via UPI: voiceformenindia@hdfcbank (80G tax exemption applicable)