दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) की दो जजों की बेंच ने 11 मई को मैरिटल रेप (Marital Rape) मामले में विभाजित फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 के अपवाद के खिलाफ दायर याचिकाओं पर बंटा हुआ फैसला दिया है। आपको बता दें कि यह अपवाद पत्नी के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाने पर पति को बलात्कार के अपराध से छूट देता है। धारा 375 का अपवाद 2, पति का अपनी पत्नी के साथ (अगर पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक हो) जबरन सेक्स अपराध नहीं मानता है।
लाइव लॉ के मुताबिक, जस्टिस राजीव शकधर ने अपने फैसले में माना कि मैरिटल रेप के अपराध से पति को छूट असंवैधानिक है। इसलिए उन्होंनं 375 के अपवाद 2, 376 B IPC को आर्टिकल 14 के उल्लंघन में माना और रद्द कर दिया गया। जस्टिस शकधर ने कहा कि जहां तक पति का सहमति के बिना पत्नी के साथ संभोग का सवाल है, यह आर्टिकल 14 का उल्लंघन है और इसलिए इसे रद्द किया जाता है।
हालांकि, जस्टिस सी हरि शंकर ने कहा कि वह जस्टिस शकधर से सहमत नहीं हैं। उन्होंने माना कि धारा 375 का अपवाद 2 संविधान का उल्लंघन नहीं करता है। यह विवेकपूर्ण अंतर और उचित वर्गीकरण पर आधारित है। जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी हरि शंकर की पीठ ने आदेश को 21 फरवरी को सुरक्षित रख लिया था।
इस बीच, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (NFHS Survey 5) के एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि भारत की 82 प्रतिशत महिलाएं अगर संभोग नहीं करना चाहती हैं तो अपने पति के साथ सेक्स करने से मना कर सकती हैं। केंद्रीय स्वाथ्य मंत्री मनसुख मंडाविया द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 5 में से 4 से अधिक महिलाएं (82 प्रतिशत) अगर यौन संबंध नहीं बनाना चाहतीं, तो अपने पति को मना कर सकती हैं।
महिलाओं के ना कहने की सबसे अधिक संभावना (82 फीसदी) गोवा में है, और सबसे कम संभावना अरुणाचल प्रदेश (63 प्रतिशत), और जम्मू-कश्मीर (65 फीसदी) में है। ये एक नया मीट्रिक है जिसे ताजा सर्वेक्षण में शामिल किया गया है, जो दो चरणों में किया गया था। पहले चरण में, 17 जून 2019 से 30 जनवरी 2020 के बीच, 17 राज्यों और 5 केंद्र-शासित क्षेत्रों को कवर किया गया, और दूसरे चरण में 2 जनवरी 2020 से 30 अप्रैल 2021 के बीच, 11 राज्यों और 3 केंद्र-शासित क्षेत्रों से आंकड़े एकत्र किए गए।
आपको बता दें कि भारतीय दंड संहिता (IPC) के अंतर्गत मैरिटल रेप को बलात्कार की परिभाषा में एक अपवाद माना गया है, जिसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति 18 साल से अधिक आयु की अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती करता है, तो उसपर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
सर्वे में कहा गया है कि 15 से 49 आयु वर्ग के केवल 6 फीसदी पुरुष इससे सहमत हैं कि अगर पत्नी सेक्स के लिए इनकार करती है तो पुरुषों को इन चारों प्रकार के व्यवहार करने का अधिकार है। हालांकि, 19 फीसदी पुरुष इससे सहमत हैं कि अगर पत्नी पति के साथ सेक्स करने से मना करती है, तो पति को नाराज होकर उसे डांटने का अधिकार है।
सर्वे के दौरान, जेंडर नजरियों का आंकलन करने के लिए पुरुषों से कुछ अतिरिक्त सवाल पूछे गए। इन सवालों का संबंध ऐसी स्थिति से था जिसमें कोई महिला अपने पति के साथ सेक्स करने से मना कर देती है जब वो चाहता है।
पुरुषों से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि उनके पास 4 तरह के व्यवहार का अधिकार है… जैसे गुस्सा हो जाएं और उसे डांटें, उसे पैसा या किसी और तरह की वित्तीय सहायता देने इनकार कर दें। जबरदस्ती करके उसके साथ सेक्स करें भले ही वो न चाहती हो, और किसी दूसरी महिला के पास जाकर उसके साथ सेक्स कर लें।
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https://mensdayout.com/82-indian-women-can-say-no-to-sex-in-marriage-nfhs-survey-5-does-india-need-marital-rape-law/
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