आज की दुनिया में शादियां बहुत तेजी से टूट रही हैं। साथी अपने मतभेदों को थोड़ा सा भी समायोजित या समेटने के लिए तैयार नहीं हैं। आज के समय में युद्धरत कपल को एक छत के नीचे बांधना केवल अमानवीय होगा। हालांकि, उनके मतभेदों के बावजूद बच्चों की परवरिश को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 20 मई, 2022 के अपने एक आदेश के माध्यम से दोहराया है कि “एक बच्चे को माता-पिता दोनों की आवश्यकता होती है।”
विशेष अनुमति याचिका जोधपुर में राजस्थान हाई कोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित एक आदेश दिनांक 28.10.2021 के खिलाफ थी, जिसमें याचिकाकर्ता-पिता के अपने नाबालिग बेटे की अंतरिम कस्टडी के आवेदन को खारिज कर दिया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस समय जानलेवा कोविड-19 महामारी की स्थिति के संबंध में आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया था। इस प्रकार, हाई कोर्ट के आदेश को गलत नहीं ठहराया जा सकता है।
क्या है पूरा मामला?
प्रतिवादी-मां उदयपुर में नाबालिग बेटे के साथ रह रही है। वहीं, याचिकाकर्ता-पिता दूसरे शहर में रह रहा है। 16.12.2021 को याचिकाकर्ता की ओर से पेश विद्वान वकील ने अनुरोध किया था कि उन्हें आगामी क्रिसमस की छुट्टियों के दौरान और विशेष रूप से 27.12.2021 को जो कि याचिकाकर्ता का जन्मदिन था, उदयपुर में अपने नाबालिग बेटे से मिलने की अनुमति दी जाए। याचिकाकर्ता उदयपुर जाने के लिए राजी हो गया, जहां बच्चा अपनी मां के साथ रह रहा था और एक होटल में रुका था।
इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता बच्चे को उठाकर उदयपुर के भीतर ले जाए। हालांकि, याचिकाकर्ता को बच्चे को उदयपुर से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं दी गई। याचिकाकर्ता को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक टेस्ट करने के बाद कि वह COVID-19 से संक्रमित नहीं था। 26.12.2021 को और फिर से अपने जन्मदिन पर 27.12.2022 को बच्चे से मिलने की अनुमति दी गई थी।
दिनांक 04.03.2022 के एक आदेश द्वारा अदालत ने पक्षों को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र के पास भेज दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता को होली की छुट्टियों में उदयपुर जाने और एक होटल में ठहरने की भी अनुमति दी। होली के दिन, उन्हें दोपहर में कुछ घंटों के लिए बच्चे को बाहर ले जाने की अनुमति दी गई, और फिर रात के खाने के बाद बच्चे को उसकी मां को लौटा दिया गया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि बच्चा सहमत है, तो याचिकाकर्ता सप्ताह के अंत, यानी 19 और 20 मार्च, 2022 को बच्चे के साथ बिता सकता है, और बच्चे को प्रतिवादी-मां को 20.03.2022 की शाम तक लौटा सकता है। याचिकाकर्ता ने बच्चे को बाहर निकाला और बच्चे के साथ दो दिन भी बिताए।
याचिकाकर्ता ने यह दिखाने के लिए कुछ तस्वीरों को पेश किया कि बच्चा उसके साथ खुश था। प्रतिवादी के विद्वान वकील ने निवेदन किया कि प्रतिवादी द्वारा भी इसी प्रकार के फोटोग्राफ प्रस्तुत किए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि कपल के बीच मतभेदों के बावजूद एक बच्चे को माता-पिता दोनों की जरूरत होती है। कोर्ट ने कहा कि हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि बच्चे को माता-पिता दोनों की जरूरत होती है और बच्चा भी उतना ही खुश होगा, अगर खुश नहीं तो मां की संगति में भी। बच्चा शायद सबसे ज्यादा तब खुश होगा अगर उसके माता-पिता एक हो जाएं। दुर्भाग्य से, माता-पिता अपने मतभेदों को सुलझाने और एक साथ रहने में असमर्थ हैं।
कोर्ट ने आगे कहा कि बच्चे को माता-पिता दोनों के साथ रहने और माता-पिता दोनों का प्यार और स्नेह पाने का अधिकार है। पति-पत्नी के बीच मतभेद चाहे जो भी हों, बच्चे को अपने पिता की संगति से वंचित नहीं किया जा सकता है। पिता को बेटे के जन्मदिन पर उससे मिलने की इजाजत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें सूचित किया गया है कि बच्चे का जन्मदिन कल यानि 21.05.2022 को है। याचिकाकर्ता-पिता कल बच्चे के जन्मदिन पर जा सकते हैं और उसके जन्मदिन पर बच्चे के साथ थोड़ा समय बिता सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें यह भी सूचित कि गया है कि गर्मी की छुट्टी शुरू हो गई है। तो याचिकाकर्ता गर्मी की छुट्टी के दौरान शाम 5.00 बजे बच्चे को उसकी मां के घर से उठा सकता है और 9 से 9.30 बजे तक उसे उसकी मां के पास लौटा देना। यदि बच्चा सहमत है, तो याचिकाकर्ता-पिता गर्मी की छुट्टी के दौरान हर हफ्ते बच्चे के साथ एक या दो दिन बिता सकते हैं। बच्चे पर कोई दबाव नहीं डालना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि देश में कोरोना महामारी की स्थिति में सुधार हुआ है और जीवन लगभग सामान्य हो गया है, पक्ष भविष्य में बच्चे की कस्टडी/एक्सेस के संबंध में अपेक्षित निर्देशों के लिए संबंधित फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
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