19 फरवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को रखरखाव के रूप में 1.75 लाख रुपये के मासिक भुगतान के साथ-साथ 2.60 करोड़ रुपये की पूरी बकाया राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा नहीं करने पर उसे जेल में डाल दिया जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा था कि कोई व्यक्ति अपनी अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता देने की जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकता है।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट मार्च 2021 में गुजारा भत्ता के तौर पर 1.75 लाख रुपये प्रति माह के साथ-साथ 2.60 करोड़ रुपये की बकाया राशि अपनी अलग रह रही पत्नी को अदा नहीं करने पर अदालत की अवमानना के लिए उस व्यक्ति को तीन महीने की कैद की सजा सुनाई। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि पति को पहले ही लंबा समय दिया गया था और उसने अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता की रकम अदा करने के लिए उस अवसर का सदुपयोग नहीं किया।
क्या है पूरा मामला?
पत्नी ने 2009 में चेन्नई के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था। अदालत ने पत्नी को घर साझा करने की अनुमति दी थी, जब तक कि पति ने उसके स्थायी निवास के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर लेता। आदेश के खिलाफ पति द्वारा दायर अपील पर निचली अदालत ने व्यक्ति को 2009 से गुजारा भत्ता की लंबित बकाया राशि करीब 2.60 करोड़ रुपये और 1.75 लाख रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने को कहा था। पति ने उस वक्त लंबित रकम में से 50,000 रुपये ही दिया था।
मद्रास हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने 2 दिसंबर 2016 को सत्र न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा, जिसके बाद पति ने शीर्ष अदालत में अपील दायर की। शीर्ष अदालत ने 26 अक्टूबर, 2017 को इस निर्देश के साथ खारिज कर दिया था कि वह छह महीने के भीतर भरण-पोषण और बकाया का भुगतान करे। पत्नी द्वारा 2018 में एक समीक्षा याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद पति को हर महीने के 10वें दिन तक 1.75 लाख रुपये के गुजारा भत्ता का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।
पति का तर्क
दूरसंचार क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा की एक परियोजना पर काम करने का दावा करने वाले व्यक्ति ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं। उसने राशि का भुगतान करने के लिए दो साल का समय मांगा। पति ने कोर्ट से कहा था कि उसने अपना सारा पैसा दूरसंचार क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एक परियोजना के अनुसंधान एवं विकास में लगा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने (प्रतिवादी) अदालत के आदेश का बार-बार पालन करने में विफल रहने से विश्वसनीयता खो दी है। कोर्ट ने कहा कि आश्चर्य है कि इस तरह के मामले वाला व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा की परियोजना से कैसे जुड़ा था। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने तमिलनाडु के रहने वाले व्यक्ति से कहा कि पति अपनी पत्नी को भरण-पोषण प्रदान करने की अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता और भरण-पोषण प्रदान करना उसका कर्तव्य है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हम पहले ही (प्रतिवादी को) लंबी मोहलत दे चुके हैं। प्रतिवादी (पति) ने दिए गए अवसर का सदुपयोग नहीं किया। इसलिए, हम प्रतिवादी को इस अदालत की अवमानना करने को लेकर दंडित करते हैं और उसे तीन महीने की कैद की सजा सुनाते हैं। पीठ ने कहा कि व्यक्ति ने 19 फरवरी के पीठ के आदेश का अनुपालन नहीं किया, जब उसे गुजारा भत्ता की समूची बकाया राशि के साथ-साथ शीर्ष अदालत द्वारा पूर्व में तय की गई मासिक गुजारा भत्ता की रकम अदा करने का अंतिम अवसर दिया गया था।
तमिलनाडु निवासी व्यक्ति ने दलील दी थी कि उसके पास पैसे नहीं है और रकम का भुगतान करने के लिए दो साल की मोहलत मांगी थी। इस पर, शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि उसने न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने में बार-बार नाकाम रह कर अपनी विश्वसनीयता खो दी है। न्यायालय ने हैरानगी जताते हुए कहा था कि इस तरह का व्यक्ति कैसे राष्ट्रीय सुरक्षा की परियोजना से जुड़ा हुआ है।
कोर्ट ने पहले ही दी थी चेतवानी
पीठ ने अपने 19 फरवरी के आदेश में साफ तौर पर चेतावनी देते हुए कहा था कि हम पूरी लंबित राशि के साथ-साथ मासिक गुजारा भत्ता नियमित रूप से अदा करने के लिए अंतिम मौका दे रहे हैं… आज से चार हफ्तों के अंदर यह दिया जाए, इसमें नाकाम रहने पर प्रतिवादी को दंडित किया जा सकता और जेल भेज दिया जाएगा। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद के लिए निर्धारित कर दी थी।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि रकम का भुगतान नही किए जाने पर अगली तारीख पर गिरफ्तारी आदेश जारी किया जा सकता है और प्रतिवादी को जेल भेजा सकता है। पीठ ने व्यक्ति को पैसा उधार लेने या बैंक से कर्ज लेने तथा अपनी पत्नी को एक हफ्ते के अंदर गुजारा भत्ता की लंबित राशि एवं मासिक राशि अदा करने को कहा था, अन्यथा उसे सीधे जेल भेज दिया जाएगा। हालांकि, व्यक्ति के वकील के अनुरोध पर पीठ ने उसे चार हफ्ते की मोहलत दी थी।
Supreme Court Orders Husband To Pay Rs 2.60 Cr & Monthly Maintenance To Wife Or Go To Jail
Join our Facebook Group or follow us on social media by clicking on the icons below
If you find value in our work, you may choose to donate to Voice For Men Foundation via Milaap OR via UPI: voiceformenindia@hdfcbank (80G tax exemption applicable)