भारत ने वर्तमान पीढ़ी के रिश्तों को देखने के तरीके में भारी बदलाव देखा है। आजकल के युवा जीवन भर के शादी के बंधन में नहीं बंधना चाहते हैं। यही वजह है कि युवा पिछले कुछ समय से लिव-इन रिलेशनशिप को काफी वरीयता दे रहे हैं। हालांकि लिव-इन रिलेशनशिप ऐसा रिश्ता है जिसमें जीवन भर साथ रहने के बाद भी रिश्ते की पूरी गारंटी नहीं दी जा सकती है।
लिव-इन संबंध न केवल कपल को कानूनी रूप से बाध्यकारी रिश्ते में शामिल हुए बिना साथी को जानने का अवसर देता है, बल्कि परिवार की भागीदारी एवं लंबी अदालती प्रक्रियाओं की अराजकता को भी बढ़ावा देता है कि यदि कपल अलग होने का फैसला करते हैं।
हालांकि, इसके नियम क्या हैं? क्या दोनों में से किसी एक को विभिन्न कारणों से रिश्तों से बाहर जाने की अनुमति है? इसका जवाब है हां, क्योंकि जब वयस्क इस प्रकार की व्यवस्था में शामिल होने का निर्णय लेते हैं तो वे परिणामों से पूरी तरह अवगत होते हैं।
वर्षों से विशेष रूप से क्रूर निर्भया बलात्कार मामले के बाद रेप की शिकायतों को दर्ज करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए रातों-रात कानूनों को बदल दिया गया। दुर्भाग्य से कुछ महिलाओं द्वारा इसका दुरुपयोग किया गया है, जिन्होंने संबंध विफल होने पर अपने पूर्व पति पर बलात्कार के आरोप दर्ज करने के लिए पुलिस से संपर्क किया है।
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप टूटने पर बलात्कार का कोई मामला दर्ज नहीं किया जाएगा। हाईकोर्ट ने एक मामले का निपटारा करते हुए स्पष्ट किया है कि लिव-इन रिलेशनशिप टूटने के बाद शादी नहीं कर पाने की स्थिति में रेप की धारा के तहत मामला नहीं बनाया जा सकता है। कोर्ट ने यह आदेश फरवरी 2020 में दिया था।
इस आदेश का पालन करते हुए हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि जब कोई महिला अपने रिश्ते में खटास आने पर उनके पास जाती है तो वे पुरुषों पर बलात्कार का आरोप नहीं लगाएंगे। हिमाचल प्रदेश के पुलिस डीजीपी सीता राम मराडी ने उस वक्त धर्मशाला में पत्रकारों के साथ बातचीत में इस बात पर जोर दिया था।
भारत में लिव-इन को कैसे परिभाषित किया जाता है?
सुप्रीम कोर्ट इंद्र शर्मा बनाम वी.के.वी. सरमा ने लिव-इन रिलेशनशिप को नीचे अलग-अलग तरीकों से परिभाषित किया:
– एक वयस्क अविवाहित पुरुष और एक वयस्क अविवाहित महिला के बीच एक घरेलू सहवास।
– एक विवाहित पुरुष और एक वयस्क अविवाहित महिला के बीच एक घरेलू सहवास (entered mutually)।
– एक वयस्क अविवाहित पुरुष और एक विवाहित महिला के बीच एक घरेलू सहवास (entered mutually)।
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक “शादी के बहाने रेप” क्या है?
एक अविवाहित वयस्क महिला और एक विवाहित पुरुष के बीच एक घरेलू सहवास में अनजाने में प्रवेश करना भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत भी दंडनीय है। दो समलैंगिक भागीदारों के बीच एक घरेलू सहवास, भारत में वैवाहिक संबंध नहीं बना सकता है, क्योंकि समलैंगिकता के खिलाफ अभी तक कोई वैवाहिक कानून परिभाषित नहीं किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में कहा है कि यदि एक पुरुष और एक महिला लंबे समय तक “पति और पत्नी की तरह रहते थे” और यहां तक कि बच्चे भी थे, तो न्यायपालिका यह मान लेगी कि दोनों विवाहित थे और समान कानून होंगे लागू।
एक अन्य उदाहरण में शीर्ष अदालत ने यहां तक कहा था कि एक पुरुष और एक महिला के लिए एक साथ रहना जीवन के अधिकार का हिस्सा है, न कि “आपराधिक अपराध”। इसलिए भारत में लिव-इन रिलेशनशिप कानूनी है।
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