मुंबई की एक अदालत ने एक साल जेल में बिताने के बाद एक व्यक्ति को पॉक्सो (POCSO) के आरोप से बरी कर दिया है। उस व्यक्ति पर उसकी बेटी द्वारा बलात्कार का झूठा आरोप लगाया गया था जो उसे घर से दूर रखना चाहती थी। यह मामला अगस्त 2021 का है।
क्या है पूरा मामला?
पांच बच्चों के पिता 48 वर्षीय व्यक्ति को अपनी 17 वर्षीय बेटी का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने पाया कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) एक्ट का आरोप केवल इसलिए जोड़ा गया ताकि वह जेल में रह सके।
मुकदमे के दौरान व्यक्ति की पत्नी और उसकी बेटी दोनों अदालत में मुकर गए और सभी आरोपों से इनकार किया। अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि परिवार के सदस्य उसकी शराब पीने की आदत और प्रभुत्व के खिलाफ थे, इसलिए उन्होंने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करने का फैसला किया।
अदालत ने यह भी कहा कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि अपराध के समय लड़की नाबालिग थी। कोर्ट ने आगे कहा कि इस प्रकार, अभियोजन यह साबित करने में विफल रहा है कि पॉक्सो अधिनियम लागू है।
कोर्ट में मां ने इस बात से इनकार किया कि उनकी बेटी का यौन शोषण किया गया था। उसने अपदस्थ किया कि उसका पति नशे में है और उनके साथ मारपीट करता था। मां ने कहा कि चूंकि वह उन्हें परेशान कर रहा था, इसलिए उसने गुस्से में पुलिस से शिकायत की।
अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता ने बयान दिया है कि उसके पिता को मानसिक इलाज की जरूरत है, लेकिन वह उसकी दवा नहीं लेगा। मेडिकल रिपोर्ट में भी किसी यौन हमले की ओर इशारा नहीं किया गया था।
Mumbai Man Acquitted From Charges Of POCSO As 17-Year-Old Daughter Filed False Rape Case
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