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Home हिंदी कानून क्या कहता है

सहमति से यौन संबंध बनाने के बाद शादी से इनकार करना बलात्कार नहीं, केरल हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील को दी जमानत

Team VFMI by Team VFMI
July 12, 2022
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Husband Can't Be Charged With Bigamy If He Remarried While Divorce Decree Was Stayed (Representation Image Only)

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अगर पुरुष शादी से पीछे हट जाए तो क्या एक असफल सहमति से संबंध बलात्कार की कैटेगरी में आ सकता है? केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने 08 जुलाई, 2022 के अपने हालिया आदेश में स्पष्ट किया कि अगर कोई सहमति से यौन संबंध बनाने के बाद शादी करने से इनकार कर रहा है तो यह रेप के अपराध में नहीं आता है। रेप के आरोपी केंद्र सरकार के एक वकील को जमानत देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि यह बलात्कार तभी होता है जब दो वयस्कों के बीच रजामंदी न हो।

हाई कोर्ट ने वकील द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिस पर एक सहकर्मी के साथ 4 साल तक संबंध रखने और फिर दूसरी महिला से शादी करने का फैसला करने का आरोप है। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के स्थायी वकील को जमानत दे दी, जिसे पहले उनके सहयोगी द्वारा दायर यौन उत्पीड़न मामले में गिरफ्तार किया गया था।

क्या है पूरा मामला?

अदालत एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जहां कोल्लम की एक महिला ने अपने पुरुष साथी पर शादी का वादा करके बलात्कार का आरोप लगाया, जब पुरुष ने दूसरी महिला से शादी कर ली। वकील को शहर के एक अस्पताल से कथित पीड़िता द्वारा पुलिस को दिए गए बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था, जहां उसकी कलाई काटने के बाद उसे भर्ती कराया गया था।

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि नाथ ने पीड़िता से शादी करने का वादा करके कई बार अलग-अलग जगहों पर उसके साथ बलात्कार किया, लेकिन बाद में उसने दूसरी महिला से शादी करने का फैसला किया। मामले में विस्तार से बताने के बाद, आयकर विभाग के स्थायी वकील नवनीत नाथ (जिन्हें 21 जून को पुलिस ने गिरफ्तार किया था) को केरल हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी।

केरल हाई कोर्ट

जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने अपने आदेश में कहा कि एक पुरुष और एक महिला के बीच यौन संबंध केवल तभी बलात्कार की कैटेगरी में आ सकता है जब यह उसकी इच्छा के विरुद्ध या उसकी सहमति के बिना या जब बल या धोखाधड़ी से सहमति प्राप्त की गई हो।

कोर्ट ने आगे कहा कि दो इच्छुक वयस्क लोगों के बीच यौन संबंध भारतीय दंड विधान की धारा 376 के दायरे में दुष्कर्म के अपराध की कैटेगरी में नहीं आता है। जब यौन संबंध छलपूर्वक या गलतबयानी के जरिए बनाए गए हों तभी ये दुष्कर्म माने जाएंगे। सहमति से बनाए गए संबंध बाद में विवाह में परिवर्तित नहीं किए गए हों तब भी ये दुष्कर्म की कैटेगरी में नहीं आते।

अदालत ने आगे कहा कि शारीरिक संबंध बनाने के बाद शादी से इनकार करना या रिश्ते को शादी में बदलने में विफल रहने को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। एक पुरुष और एक महिला के बीच यौन संबंध केवल तभी दुष्कर्म की कैटेगरी में आ सकता है जब यह महिला की इच्छा के विरुद्ध हो या उसकी सहमति के बिना जबरन बनाए गए हों।

कोर्ट ने यह भी कहा कि शादी के वादे का पालन करने में विफलता के कारण एक पुरुष और एक महिला के बीच शारीरिक संबंध को बलात्कार में बदलने के लिए, यह आवश्यक है कि महिला का यौन कृत्य में शामिल होने का निर्णय शादी के वादे पर आधारित होना चाहिए।

अदालत ने आगे कहा कि झूठा वादा स्थापित करने के लिए वादा करने वाले का अपनी बात को पूरा करने का कोई इरादा नहीं होना चाहिए था और उक्त वादा महिला को शारीरिक संबंध के लिए खुद को प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित करना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि शारीरिक मिलन और विवाह के वादे के बीच एक सीधा संबंध होना चाहिए।

हाई कोर्ट ने कहा कि इस आदेश में की गई टिप्पणियां पूरी तरह से इस जमानत अर्जी पर विचार करने के उद्देश्य से हैं और किसी अन्य कार्यवाही में मामले के गुण-दोष पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एक लाख रुपये के बांड को जमा करने के बाद वकील को जमानत दे दी गई।

READ ORDER | Can A Man Be Charged With Rape On Promise Of Marriage If He Marries Another Woman? Kerala High Court Grants Bail To Central Government Standing Counsel

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