इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने हाल ही में अपने एक फैसले में एक 8 वर्षीय नाबालिग बच्ची पर गंभीर यौन हमला (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) की धारा 10 के तहत दंडनीय) करने के मामले में आरोपी बनाए गए व्यक्ति को जमानत दे दी, क्योंकि पीड़िता के माता-पिता ने उसकी मेडिकल जांच कराने से इनकार कर दिया था।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस साधना रानी (ठाकुर) की खंडपीठ ने आरोपी मनोज सक्सेना को भारती संविधान के आर्टिकल 21 के बड़े जनादेश और दाताराम सिंह बनाम यूपी राज्य व अन्य (2018) 2 एससीसी 22 के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को ध्यान में रखते हुए जमानत दे दी है।
क्या है पूरा मामला?
इस मामले में दर्ज FIR के अनुसार, 8 वर्षीय पीड़िता के परिवार के अन्य सदस्यों की अनुपस्थिति में डिश रिपेयरिंग टेक्नीशियन/आरोपी पीड़िता के घर आया और उसे अकेला देखकर उसके साथ अश्लील हरकतें शुरू कर दी। जब पीड़िता ने शोर मचाना शुरू किया तो वह घर से भाग गया।
लाइव लॉ के मुताबिक, Cr.PC की धारा 161 के तहत दर्ज अपने बयान में पीड़िता ने कहा कि जब आरोपी उसके घर में डिश कनेक्शन की मरम्मत के लिए आया, तो उसने उसके कपड़ों में अपना हाथ डाला और उसके होठों को चूमा।
Cr.PC की धारा 164 के तहत दर्ज बयान के अनुसार, पीड़िता ने आरोप लगाया है कि आरोपी ने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके होठों को चूमा, उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसके स्तन को भी दबाया। आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376A, B, 354 I.P.C. और पॉक्सो एक्ट की धारा 9D/10 एवं एसी/एसटी एक्ट की धारा 3(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कोर्ट पहुंचा आरोपी
इस प्रकार, आरोपी ने नियमित जमानत के लिए कोर्ट का रुख किया। आरोपी की ओर से यह तर्क दिया गया कि एफआईआर में लगाए गए आरोप सामान्य हैं और सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत दर्ज किए गए पीड़ित के बयानों के अनुसार, आईपीसी की धारा 376 का कोई मामला नहीं बनता है।
इसके अलावा, मामले में सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया गया कि पीड़िता के माता-पिता ने पीड़िता की मेडिकल जांच कराने से इनकार कर दिया और पीड़िता के शरीर पर कोई चोट नहीं पाई गई है।
आगे तर्क दिया गया कि पीड़िता के पिता एक पुलिसकर्मी हैं और यह FIR केवल उस शक्ति का दुरुपयोग है। इसे देखते हुए, अदालत ने उसे जमानत दे दी और कहा कि पीड़िता के माता-पिता ने पीड़िता की किसी भी तरह की मेडिकल जांच कराने से इनकार कर दिया है।
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