एक 80 वर्षीय बेकसूर व्यक्ति ने अपने 13 वर्षीय पड़ोसी के यौन उत्पीड़न के आरोप में एक साल से अधिक समय जेल में बिताया। मां और बेटी दोनों के अपने बयान से मुकर जाने के बाद मुंबई की एक विशेष पॉक्सो अदालत ने उस व्यक्ति को बरी कर दिया। यह मामला अगस्त 2021 का है।
क्या है मामला?
मां ने बुजुर्ग शख्स के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी और पुलिस को बताया था कि उसने उसकी किशोरी बेटी पर जून 2020 में यौन हमला किया था। बेटी के रोते-रोते घर आने पर मां को इस घटना का पता चला। हालांकि, कोर्ट में मां ने अपना बयान बदल दिया और इस बात से इनकार किया कि उसने पुलिस को ऐसा बयान दिया था।
उस व्यक्ति ने दावा किया कि वह निर्दोष था और उस पर यौन उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाया गया था क्योंकि बच्चे का परिवार उसके फ्लैट पर कब्जा करना चाहता था। इससे पहले उनकी जमानत अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी थी।
आरोपी के वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता (मां) और उसकी बेटी की ओर से भी यौन उत्पीड़न के आरोपों का कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है। पीड़िता के शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं हैं। आरोपी ने खुद को बेगुनाह बताया, क्योंकि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चलता हो कि उसने अपराध किया है, जबकि शिकायतकर्ता ने अपना बयान भी बदल दिया।
विशेष पॉक्सो अदालत ने कहा कि मेडिकल अधिकारी ने भी इस बात से सहमति जताई कि पीड़िता के शरीर पर शारीरिक हमले का कोई सबूत नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिक को बरी कर दिया।
बता दें कि यौन उत्पीड़न के मामले प्रकृति में अत्यंत गंभीर होते हैं। ऐसे झूठे और प्रेरित मामले ऐसे अपराधों के वास्तविक पीड़ितों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। झूठे आरोपित पुरुषों को, निश्चित रूप से केवल बरी कर दिया जाता है।
POCSO Court Acquits 80-Year-Old Man In False Sexual Assault Case After He Spent Over A Year In Jail
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