मध्य प्रदेश सरकार महिला सरकारी कर्मचारियों को एक साल में सात और कैजुअल लीव (Casual Leave) देगी। इसके अलावा राज्य की महिलाओं को पहले से ही 13 दिन की छुट्टी दी जाती है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने महिला दिवस पर इसकी घोषणा करते हुए कहा कि महिला कर्मचारी अतिरिक्त छुट्टी की हकदार हैं, क्योंकि वे बहु-कार्य करती हैं। सीएम ने कहा कि वह घर और कार्यालय दोनों का काम संभालती हैं। उन्होंने कहा कि उनके जीवन का प्रमुख ध्येय माता, बहन और बेटियों का उत्थान ही है। उनका मानना है कि नारी शक्ति के सशक्तीकरण में ही प्रदेश और देश का उत्थान निहित है।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 9 मार्च को अपने सिलसिलेवार ट्वीट में लिखा, “कल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस था, होली के कारण हमने कोई कार्यक्रम नहीं किया लेकिन कल मैंने ट्वीट करके कुछ जानकारियां दीं थीं। हमने तय किया है कि मध्यप्रदेश में शासकीय सेवाओं में पदस्थ बहनों को 7 दिवसों का अतिरिक्त आकस्मिक अवकाश देंगे, जिसे वे अपनी आवश्यकता अनुरूप उपयोग कर सकेंगी।”
मुख्यमंत्री ने अगले ट्वीट में लिखा, “हमने तय किया है कि कक्षा 10 के बाद उच्चतर माध्यमिक एवं कॉलेज में बेटियों को वित्तीय साक्षरता हेतु पाठ पढ़ाया जाएगा, जो महिला उन्मुखी होगा। बालिकाओं को स्किल ट्रेनिंग की व्यवस्था की जायेगी, जिसमें हैंडलूम, कढ़ाई, पारंपरिक लोक कलाओं की ट्रेनिंग सम्मिलित होगी।”
चौहान ने एक अन्य ट्वीट कर बताया, “आईटीआई में अध्ययनरत बेटियों को डिजिटल और वित्तीय साक्षरता तथा अंग्रेजी कम्युनिकेशन का 60 से 80 घंटे का प्रशिक्षण हमने देने का फैसला किया है। साथ ही राजकीय तकनीकी शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत बेटियों को भी रोजगार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिलाने का काम करेंगे।”
देश में महिलाओं को साल में 20 कैजुअल लीव मध्य प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा और आंध्र प्रदेश की महिला कर्मचारियों को भी दी जाती है। चौहान ने कहा कि अतिरिक्त छुट्टी महिला कल्याण के उनके मिशन का हिस्सा है। शिवराज ने महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण और छात्राओं के लिए रोजगार मेले का भी वादा किया।
सीएम ने कहा कि माताओं, बहनों और बेटियों का उत्थान मेरे जीवन का मुख्य उद्देश्य है। मेरा मानना है कि महिलाओं के सशक्तिकरण में ही राज्य और देश का विकास निहित है। रिटायर IAS अधिकारी स्नेहलता श्रीवास्तव ने एमपी सरकार के कदम का स्वागत करते हुए कहा, “यह एक अच्छा फैसला है, क्योंकि महिलाओं पर अपने घर, बच्चों और परिवार की देखभाल करने की बड़ी जिम्मेदारी है।”
हालांकि, कई यूजर्स ने सीएम पर पुरुषों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया। एक यूजर ने लिखा, “पुरुषों से इतनी घृणा क्यों? आपके लिए नारे लगाने वाले, जान देने वाले, टैक्स देने वाले पुरुष ही हैं। विदेशी व्यापारियों के आदेश पर काम मत करिए शिवराज जी।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “19 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस है। भेदभाव नहीं चलेगा।”
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