कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने हाल ही में एक महिला के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले को रद्द कर दिया, जिसके पति ने उस पर मूल्यवान गहने और सेल फोन छीनने का आरोप लगाया था।
क्या है पूरा मामला?
बार एंड बेंच के मुताबिक, याचिकाकर्ता-महिला की शिकायतकर्ता-पुरुष से 1999 में शादी हुई थी, जो पेशे से वकील थे।। मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित होने के बाद उसने अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया था। महिला के पति ने उस पर मूल्यवान गहने और सेल फोन छीनने का आरोप लगाया था। इसके अलावा, याचिकाकर्ता पर दो मोबाइल फोन, उसके बेटे की एक सोने की चेन और उसका खुद का एक सोने का हार छीनने का आरोप लगाया गया था।
शादी के बाद जबरदस्त प्रताड़ना के कारण, उसने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498 A के तहत शिकायत दर्ज कराने के बाद मई 2019 में वैवाहिक घर छोड़ दिया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि पति द्वारा उसके खिलाफ तत्काल शिकायत उसकी प्रारंभिक शिकायत का जवाबी हमला था। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पति ने अलीपुर कोर्ट के प्रैक्टिसिंग वकील के रूप में अपनी स्थिति का दुरुपयोग करके, शरारती इरादे से उनके खिलाफ झूठे और मनगढ़ंत आपराधिक मामले दायर किए। इस मामले में महिला के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इसके खिलाफ महिला ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
हाई कोर्ट
सिंगल जज जस्टिस शंपा दत्त (पॉल) ने रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से पाया कि महिला जो सामान अपने साथ ले गई थी, उनमें एक सोने का बाला (चूड़ी), एक लोहा जो सोने से ढका हुआ था, दो टुकड़े पोला, जो सोने से ढका हुआ था, एक जोड़ी संखबधानो चूड़ी जो सोने से ढका हुआ था। पीठ ने कहा कि ये आभूषण आम तौर पर विवाह के आभूषण होते हैं और पारंपरिक बंगाली विवाहित महिलाओं द्वारा पहने जाते हैं।
जस्टिस दत्त ने आदेश में कहा, “ये आभूषण एक पारंपरिक बंगाली विवाहित महिला द्वारा नियमित आधार पर पहने जाते हैं, जो इन्हें पहनना चुनती है। फोन जो उसके स्वयं के उपयोग के लिए हो सकता है और वर्णित आभूषण किसी विवाहित जोड़े के बीच आपराधिक मामले का आधार नहीं हो सकते, वह भी शादी के 29 साल बाद। पीठ ने कहा कि ये आरोप स्पष्ट रूप से कोई मामला नहीं बनाते जैसा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाया गया है।
कार्यवाही को रद्द करते हुए पीठ ने कहा, “इस प्रकार, यह एक उपयुक्त मामला है जहां न्याय के लिए कानून/अदालत की प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए इस अदालत की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग किया जाना चाहिए।” इसके साथ ही अदालत ने महिला के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के मामले को रद्द कर दिया।
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