छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान माना कि यदि पति अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करने के बजाय अत्यधिक शराब पीने की आदत में लिप्त हो जाता है और इससे पारिवारिक स्थिति खराब हो जाती है, तो यह स्वाभाविक रूप से पत्नी और बच्चों सहित पूरे परिवार के लिए मानसिक क्रूरता का कारण बनेगा। अदालत ने कहा कि यदि कोई पति अपने कर्तव्यों का पालन करने के बजाय अत्यधिक शराब पीने में लिप्त है, तो यह उसकी पत्नी और उसके बच्चों सहित परिवार के लिए मानसिक क्रूरता होगी।
क्या है पूरा मामला?
लाइव लॉ के मुताबिक, कपल ने फरवरी 2006 में शादी की थी। कपल एक बेटे और एक बेटी के माता-पिता हैं। जब उनका बेटा 10 साल का था और बेटी 13 साल की थी, तो पत्नी ने पति की अत्यधिक शराब पीने की आदत के आधार पर तलाक की मांग करते हुए फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी। महिला का आरोप था कि उसका पति उसे मारता-पीटता था और घर का सारा सामान बेच देता था और अत्यधिक शराब पीने की आदत के कारण पूरे परिवार की हालत खराब हो गई थी। उसने आगे कहा कि मई 2016 में पति द्वारा नशे की हालत में उसके साथ मारपीट और दुर्व्यवहार किया गया, जिससे उसे अपने दो बच्चों के साथ अपने माता-पिता के घर में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा।
याचिका में आगे यह भी बताया गया कि शुरू में उसने इसी तरह के आधार पर तलाक की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था। हालांकि, ऐसी कार्यवाही के दौरान, पति ने वादा किया था कि वह शराब पीने की आदत छोड़ देगा और अपने व्यवहार में सुधार करेगा और अपीलकर्ता/पत्नी को प्रताड़ित नहीं करेगा। जिसके बाद उसने याचिका वापस ले ली, लेकिन उसके पति ने अपना रवैया नहीं बदला। पति ने फैमिली कोर्ट (साथ ही हाईकोर्ट के समक्ष) के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं की और इसके बजाय, उसने एक लिखित बयान भेजा और वादी के आरोपों से इनकार किया और कहा कि अपनी पत्नी के व्यवहार के कारण, वह अलग रहने के लिए बाध्य था। उसने आरोप लगाया कि पत्नी उसे धमकी देती थी और उस पर मानसिक क्रूरता भी की जाती थी।
हाई कोर्ट
बार एंड बेंच के मुताबिक, जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय अग्रवाल ने क्रूरता के आधार पर अपनी शादी को खत्म करने की पत्नी की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि इस मामले में पति ने अपने दो बच्चों की स्कूल फीस भी नहीं दी, जबकि उसकी पत्नी नौकरी पर नहीं थी। पीठ ने कहा, “यह बहुत स्वाभाविक है कि पत्नी अपनी घरेलू जरूरतों और अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए अच्छी शिक्षा और जीवन के लिए पति पर निर्भर होगी। यदि पति अपने दायित्व का निर्वहन करने के बजाय अत्यधिक शराब पीने की आदत में लिप्त हो जाता है, जिससे परिवार की स्थिति खराब हो जाती है, तो यह स्वाभाविक रूप से पत्नी और बच्चों सहित पूरे परिवार के प्रति मानसिक क्रूरता का कारण बनेगा।”
पीठ ने आगे कहा कि जबकि कपल के दो बच्चे थे। पति ने कभी भी उनकी स्कूल फीस का भुगतान नहीं किया। जब पत्नी ने इन फीसों का भुगतान करने या अन्य घरेलू सामान के लिए पैसे मांगे, तो आरोप है कि उसने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और मारपीट की। चूंकि फैमिली कोर्ट की कार्यवाही के दौरान पति ने इन आरोपों पर पत्नी से जिरह नहीं की, इसलिए हाई कोर्ट ने माना कि ये आरोप स्वीकार कर लिए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि यह सुरक्षित रूप से कहा जा सकता है कि पति अपनी पत्नी के प्रति मानसिक रूप से क्रूर था। इन टिप्पणियों के साथ, पीठ ने कपल के बीच 2 फरवरी, 2006 को हुई शादी को भंग कर दिया। साथ ही अदालत ने पति को पत्नी को भरण-पोषण के तौर पर हर महीने 15,000 रुपये देने का भी आदेश दिया।
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