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Home हिंदी कानून क्या कहता है

‘FIR दर्ज करने के बाद बहू के WhatsApp मैसेज से पता चलता है कि ससुराल वालों के साथ उसके संबंध सामान्य थे’, कलकत्ता HC ने रद्द किया धारा 498A IPC का केस 

Team VFMI by Team VFMI
September 12, 2023
in कानून क्या कहता है, हिंदी
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voiceformenindia.com

WhatsApp Messages By Daughter-In-Law After Lodging FIR Shows Relationship With In-Laws Was Normal: Calcutta High Court Quashes 498A Case

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कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान WhatsApp मैसेज को अहम सबूत के तौर स्वीकार करते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने पति और ससुराल वाले के खिलाफ IPC की धारा 498A के तहत दर्ज आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि FIR दर्ज करने के बाद बहू के WhatsApp मैसेज से पता चलता है कि ससुराल वालों के साथ उसके संबंध सामान्य थे। अपने ससुरालवालों पर उनकी बहू ने कई मौकों पर उसे पीटने की साजिश रचने का आरोप लगाया था।

क्या है पूरा मामला?

लाइव लॉ के मुताबिक, याचिकाकर्ता 1 और 2 (महिला के पति के माता-पिता) ने तर्क दिया कि वे जमशेदपुर के स्थायी निवासी हैं। लेकिन अपने बेटे की शादी के बाद वे अशांत विवाह के कारण कोलकाता में अपने बेटे और बहू के घर पर शायद ही कभी जाते थे। उनके और उनके पति के प्रति विपरीत पक्ष नंबर 2 (बहू) का व्यवहार बेहद घृणित रहा है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 2018 में उनकी शादी के बाद पति को विपरीत पक्ष नंबर 2 द्वारा कई बार शारीरिक क्रूरता, धमकी, मौखिक दुर्व्यवहार, भावनात्मक शोषण और आपराधिक धमकी सहित अंगों और अंगों पर गंभीर चोट पहुंचाई गई। उनके मुताबिक, ऐसी सभी घटनाओं की सूचना स्थानीय पुलिस स्टेशन को दी गई थी।

यह तर्क दिया गया कि काफी प्रयासों के बाद विपरीत पक्ष नंबर 2 को एक मनोचिकित्सक के पास ले जाया गया, जिसने बाद में उसे क्लस्टर B पर्सनैलिटी डिसऑर्डर होने का इलाज किया। इसमें बढ़ा हुआ गुस्सा, मूड में बदलाव आदि जैसे लक्षण दिखाई दिए। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि विपरीत पक्ष नंबर 2 ने उसके माता-पिता के साथ साजिश में उनके बेटे और उन्हें यह कहकर आपराधिक रूप से डराया था कि उन्हें आपराधिक मामलों में झूठा फंसाया जा सकता है, अगर उनका राजरहाट वाला फ्लैट उनके नाम पर ट्रांसफर नहीं किया गया।

घर छोड़ने के बावजूद ससुरालवालों से बात करती रही पत्नी

इसमें यह भी कहा गया कि विपरीत पक्ष नंबर 2 ने 2020 में अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया और याचिकाकर्ता नंबर 2 के साथ व्हाट्सएप पर सौहार्दपूर्ण ढंग से संवाद करना जारी रखा। 17 फरवरी 2020 को शाम 7 बजे के आसपास उन्हें सूचित किया कि वह बुखार से पीड़ित है और एक सप्ताह बाद लौटेगी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इसके बाद उन्हें सूचित किया गया कि 17 फरवरी को दोपहर लगभग 2:45 बजे विपक्षी नंबर 2 ने याचिकाकर्ता नंबर 2 के भाई (याचिकाकर्ता नंबर 3) याचिकाकर्ता 1 और 2 और उनकी बेटी (याचिकाकर्ता नंबर 4) के खिलाफ अन्य बातों के अलावा IPC की धारा 498A के तहत FIR दर्ज की थी।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि FIR पूरी तरह से फर्जी है और विपरीत पक्ष नंबर 2 द्वारा की गई शिकायत को पढ़ने पर यह स्पष्ट हो जाएगा कि IPC की धारा 498-A के तहत अपराध के गठन के लिए आवश्यक सामग्री पूरी नहीं की गई। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें वर्तमान कार्यवाही में दुर्भावनापूर्ण रूप से बांधा जा रहा है, क्योंकि विपरीत पक्ष नंबर 2 द्वारा दायर घरेलू हिंसा मामले में एक और निर्णय लंबित है। साथ ही कपल के बीच तलाक का केस भी चल रहा है। वहीं, विपरीत पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि उसकी शिकायतें वास्तविक हैं। 498A IPC के तहत प्रथम दृष्टया मामला बनाने और मामले को सुनवाई के लिए आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सामग्री रिकॉर्ड पर रखी गई है।

हाई कोर्ट

पक्षों की दलीलों और सबूतों के साथ-साथ राज्य द्वारा प्रस्तुत केस डायरी पर गौर करने पर हाई कोर्ट ने विपरीत पक्ष नंबर 2 द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में कोई योग्यता नहीं पाई। जस्टिस शंपा (दत्त) पॉल ने कहा कि बहू के दावे किसी भी मेडीकल सबूत से समर्थित नहीं हैं। उसका मानसिक बीमारियों का इलाज चल रहा था, जिसके कारण कई मौकों पर उसने अपने पति के साथ हिंसक व्यवहार किया। कोर्ट ने कहा कि एक मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन से पता चलता है कि विपरीत पक्ष नंबर 2 के पति का 16 दिसंबर 2018 को हाथ और गर्दन पर काटने के कारण इलाज हुआ था। विपरीत पक्ष नंबर 2 के मेडिकल कागजात दिखाते हैं कि उसका मनोरोग विभाग में इलाज चल रहा था। शिकायत 17 फरवरी 2020 को 14.45 बजे दर्ज की गई थी। 17 फरवरी, 2020, शाम 7.17 बजे तक के व्हाट्सएप मेसेज से पता चलता है कि शिकायतकर्ता और याचिकाकर्ता नंबर 2 के बीच संबंध स्पष्ट रूप से सामान्य थे।

अपने फैसले में कोर्ट ने आगे कहा कि यह स्पष्ट है शिकायत करने के बाद भी शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता नंबर 2 को व्हाट्सएप मैसेज करना जारी रखा। विपरीत पक्ष नंबर 2 को लगी चोटों की पुष्टि क लिए कोई मेडिकल कागजात नहीं हैं। उसके प्रिस्क्रिप्शन उसे मैरिटल थेरेपी, क्रोध कम करने आदि के बारे में हैं। यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि कथित अपराधों का गठन करने के लिए आवश्यक सामग्री किसी भी याचिकाकर्ता के खिलाफ मौजूद हैं। ऐसे मामले को मुकदमे की ओर आगे बढ़ने की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।” इसके साथ ही अदालत ने शिकायतकर्ता महिला के ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द कर दिया।

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VFMI ने पुरुषों के अधिकार और लिंग पक्षपाती कानूनों के बारे में लेख प्रकाशित किए.

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