केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी करते हुए माना कि इंडियन आर्मी के लिए मृत सैनिक की दूसरी पत्नी को फैमिली पेंशन देने में कोई बाधा नहीं है, भले ही उसकी पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त न हुई हो। अदालत ने कहा कि इंडियन आर्मी यह कार्यवाही तब कर सकती है, जब तक कि पहली पत्नी को अपने मृतक पति की पेंशन में कोई दिलचस्पी नहीं है।
क्या है पूरा मामला?
लाइव लॉ के मुताबिक, केरल हाई कोर्ट एक पूर्व सैनिक की दूसरी पत्नी द्वारा इंडियन आर्मी से फैमिली पेंशन पर अपना अधिकार का दावा करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उन्होंने कहा कि उनके पति और उनकी पहली पत्नी ने अपने समझौते के अनुसार अपनी शादी खत्म करने का फैसला किया था। यह भी कहा गया कि पहली पत्नी ने हलफनामा दिया था। इस हलफनामा में कहा गया था कि उसे फैमिली पेंशन का दावा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट में तर्क दिया कि इंडियन आर्मी से रिटायरमेंट के बाद उनके पति भारतीय डाक विभाग में शामिल हो गए थे और कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के रूप में उन्हें डाक विभाग से पेंशन मिल रही है। दूसरी ओर, प्रतिवादी के वकील ने तर्क दिया कि फैमिली पेंशन का दावा नहीं किया जा सकता, क्योंकि याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर सकी कि उसके पति का पहली पत्नी से कानूनी रूप से तलाक हो चुका है।
हाई कोर्ट
हाई कोर्ट की पीठ ने पाया कि पहली पत्नी और याचिकाकर्ता के पति के बीच तलाक कानून के मुताबिक नहीं हुआ था। हालांकि, अदालत ने यह भी नोट किया गया कि पहली पत्नी ने फैमिली पेंशन में अधिकारों के लिए कभी दावा नहीं किया और उसने शपथ पत्र देकर कहा कि वह पेंशन पर कोई अधिकार नहीं चाहती। जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि इंडियन आर्मी दूसरी पत्नी के दावे पर विचार कर सकती है, क्योंकि उनकी शादी को भारतीय डाक विभाग ने मान्यता दी थी।
कोर्ट ने कहा, “भले ही यह मान लिया जाए कि Ext.P2 में दर्शाया गया तलाक कानूनी रूप से वैध नहीं है, इससे इंडियन आर्मी पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। जब तक कि K.V.Venugopalan फैमिली पेंशन के लिए दावा नहीं करतीं। ऐसा इसलिए अधिक है, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि दिवंगत के.वी. वेणुगोपालन और याचिकाकर्ता की शादी को भारतीय डाक विभाग ने स्वीकार कर लिया है, जो कि Exts.P7 और P8 से स्पष्ट है। इसलिए यह केवल इस तरह से होगा कि इंडियन आर्मी उनकी शादी को वैध भी मानते हैं।”
इस प्रकार, जस्टिस रामचंद्रन ने पाया कि पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त नहीं होने पर भी दूसरी पत्नी को पेंशन देने में कोई बाधा नहीं है। उक्त टिप्पणियों के साथ अदालत ने माना कि उत्तरदाता पहली और दूसरी दोनों पत्नियों को सुनने के बाद फैमिली पेंशन के लिए याचिकाकर्ता के अनुरोध पर पुनर्विचार कर सकते हैं। पीठ ने यह भी कहा कि यदि पहली पत्नी सुनवाई के लिए नहीं आती है तो अधिकारी यह मान सकते हैं कि उसे फैमिली पेंशन में कोई दिलचस्पी नहीं है और बिना किसी देरी के याचिकाकर्ता को इसका भुगतान कर दिया गया।
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