भारत में ‘वैवाहिक बलात्कार’ यानी ‘मैरिटल रेप’ (Marital Rape) कानून पर बहस जारी है, जो पूरी तरह से “पत्नी की गवाही” पर आधारित होगी। आइए हम भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद जो हुआ उसे फिर से अच्छी तरह से समझें।
हालांकि MDO मामले में किसी का पक्ष नहीं ले रहा है, लेकिन अगर यह पारित हो जाता है तो केवल मैरिटल रेप कानून के दुरुपयोग के संभावित सुनामी के नतीजों की ओर इशारा कर रहा है। सभी मामले झूठे नहीं होते, लेकिन सभी मामले सच भी नहीं होते। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जजों में यही डर था।
क्या था पूरा मामला?
2019 में भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की बर्खास्त महिला कर्मचारी द्वारा एक अभूतपूर्व यौन उत्पीड़न के आरोप के बाद सुप्रीम कोर्ट के कई जजों ने अपने आवासीय कार्यालयों में सिर्फ पुरुष कर्मचारियों को रखने का अनुरोध किया था। तत्कालीन सीजेआई ने सुबह की एक बैठक के दौरान जब अपनी पीड़ा व्यक्त की थी तब सुप्रीम कोर्ट के जजों उनके साथ एकजुटता व्यक्त की थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, महिला द्वारा जस्टिस गोगोई पर लगाए गए आरोपों के बाद जजों के बीच करीब 20 मिनट तक एक अहम बैठक चली थी और सीजेआई गोगोई ने कहा कि उन्हें न्यायाधीशों से अपने आवासीय कार्यालयों में केवल पुरुष कर्मचारियों को तैनात करने का अनुरोध प्राप्त हुआ था, ताकि सीजेआई ने खुद को जिस तरह का पाया, उस तरह की संभावित स्थिति से बचा जा सके।
CJI के सामने चुनौतियां
हालांकि, CJI ने कहा कि आवासीय कार्यालयों में पुरुष कर्मचारियों के अनुरोध को पूरा करना काफी मुश्किल था, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों में 60 फीसदी महिलाएं थीं। कुछ जजों ने महिला कानून क्लर्कों को नियुक्त करने के बारे में आशंका व्यक्त की, जो अपने पुरुष समकक्षों की तरह ज्यादातर आवासीय कार्यालयों में देर तक काम करती हैं। ये संबंधित न्यायाधीश के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों की फाइलों का सारांश तैयार करते हैं।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के जजों से कहा कि इस मुद्दे पर बहस होनी चाहिए ताकि भविष्य के सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के जजों को अपमानजनक हमलों से बचाया जा सके। कई न्यायाधीशों ने टीओआई के साथ अपनी चिंता साझा की और कहा कि यह आरोप कि सीजेआई ने बर्खास्त कनिष्ठ सहायक और उनके पति को उनके घर दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया था और 3 अक्टूबर, 2018 को उनके शपथ ग्रहण समारोह में उनकी निकटता दिखाने का एक विचित्र प्रयास प्रतीत होता है।
एक जज ने कहा कि जब CJI ने सभी स्टाफ सदस्यों को उनके जीवनसाथी के साथ लंच और शपथ ग्रहण समारोह के लिए आमंत्रित किया था, तो उनके द्वारा दिए गए इस इशारे में ऐसा क्या खास है? कुछ जजों ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि महिला कानून क्लर्क अपने आवासीय कार्यालयों में न्यायाधीशों को मूल्यवान सहायता प्रदान करती हैं, चाहे वह शोध उद्देश्यों के लिए हो या केस फाइलों का सारांश बनाने के लिए।
उन्होंने आगे कहा कि चूंकि सभी कानून क्लर्क देर शाम तक काम करते हैं, वे लगभग परिवार का हिस्सा बन गए हैं और उन्हें अक्सर जजों के आवास पर दोपहर और रात के खाने के लिए आमंत्रित किया जाता है। क्या यह भविष्य में प्रतिकूल होगा? हमें अब यकीन नहीं हो रहा है। इस मामले में जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति ने यह कहते हुए कि ‘महिला के आरोपों में दम नहीं है’ गोगोई को क्लीन चिट दे दी थी।
ARTICLE IN ENGLISH:
After #MeToo Allegation Against CJI Ranjan Gogoi, Several Supreme Court Judges Asked For Male Staff
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