संसद के दोनों सदनों से महिला आरक्षण विधेयक (Women Reservation Bill) पास होने के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वकील विकास सिंह (Vikas Singh) ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर हाई कोर्ट में जजों के एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने पर जोर दिया है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के तीन बार अध्यक्ष रह चुके सिंह ने CJI को लिखे पत्र में लिखा है कि पटना, उत्तराखंड, त्रिपुरा, मेघालय और मणिपुर के उच्च न्यायालयों में एक भी महिला जज नहीं है। जबकि शेष देश के 20 हाई कोर्ट में 670 पुरुष जजों की तुलना में 103 महिला जज हैं। बता दें कि देश में इस समय कुल 25 हाई कोर्ट हैं।
SCBA के पूर्व प्रमुख ने CJI को क्या लिखा?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विकास सिंह ने महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक-तिहाई सीट आरक्षित करने के लिए संसद में हाल ही में पारित हुए 128वें संविधान संशोधन विधेयक का जिक्र किया। उन्होंने चीफ जस्टिस से उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए एक विश्वसनीय सिस्टम लाने का आग्रह किया, जिसमें एक-तिहाई भर्तियां महिलाओं से भरी जाएं।
सिंह ने पत्र में कहा, “संसद से ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ के ऐतिहासिक सर्वसम्मति से पारित होने के साथ यह वास्तव में न्यायपालिका के लिए भी इस मोर्चे पर आगे आने का अवसर है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत अंततः महिला नेतृत्व वाले विकास के युग की तरफ बढ़ रहा है।” इस पत्र की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के चार शीर्ष जजों और उच्च न्यायालयों के चीफ जस्टिस को भी भेजी गई है।
पत्र में कहा गया है कि संसद ने जहां संविधान में संशोधन करके विधायिका में असंतुलन को दूर करने की पहल की है। वहीं, अपनी नियुक्ति सिस्टम निर्धारित करने वाली न्यायपालिका के लिए भी यह महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने का उपयुक्त समय है। सिंह ने पत्र में आगे कहा है, “महोदय, आप इस बात की सराहना करेंगे कि हाई कोर्ट एक समान स्थान वाला मंच है, जहां महिलाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए समान सुधार लाए जाने चाहिए।”
उन्होंने कहा कि आंकड़े हाई कोर्ट में महिलाओं के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व की तस्वीर पेश करते हैं। सिंह ने कहा, “भारत की स्वतंत्रता के 76 वर्षों से अधिक समय हो जाने के बावजूद, यह निराशाजनक है कि इस प्रतिष्ठित संस्थान में नियुक्त 270 जजों में से केवल 11 महिलाएं सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत होने में सफल रही हैं, जो अब तक हुई कुल नियुक्तियों का बमुश्किल 4 प्रतिशत है।”
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