बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High court) ने 29 अप्रैल, 2022 को अपने आदेश में एक व्यक्ति के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO एक्ट) के तहत यौन उत्पीड़न के आरोप में दर्ज FIR को रद्द कर दी। हाईकोर्ट ने इसका कारण बताया कि पीड़ित लड़की अब बालिग है। कोर्ट ने कहा कि युवती और आरोपी कथित तौर पर प्यार करते थे और अब जल्द ही शादी करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
लड़की के पिता ने 2015 में FIR दर्ज कराई थी, जो उस समय नाबालिग थी। पिता ने अपनी बेटी के वयस्क प्रेमी के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 और POCSO एक्ट की धारा 4 के तहत FIR दर्ज की गई थी। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी, जो ठाणे की विशेष अदालत में लंबित है।
लड़की ने प्रेमी से शादी करने का किया फैसला
पीड़ित लड़की अब बालिग हो गई है, और इस तरह एक हलफनामा दाखिल कर उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया कि वह और उसका साथी एक-दूसरे से प्यार करते हैं। उसने कोर्ट को बताया कि दोनों ने अपने-अपने करियर में सेटल होने के बाद शादी करने का फैसला किया है।
लड़की ने हाई कोर्ट को यह भी समझाया कि कैसे पुलिस और मजिस्ट्रेट द्वारा उसके बयान दर्ज किए गए थे, जब उसे कथित तौर पर उन बयानों को देने के लिए सिखाया गया था। हालांकि कोर्ट ने इस स्पष्टीकरण को स्वीकार नहीं किया।
हैरानी की बात यह है कि उसके माता-पिता ने भी FIR दर्ज करते समय गलतफहमी का स्पष्टीकरण देते हुए हलफनामा दायर किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी बेटी और आरोपी व्यक्ति के बीच ‘दोस्ती’ स्वीकार कर ली है।
हाई कोर्ट
जस्टिस प्रसन्ना बी वरले और एसएम मोदक ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए केवल FIR रद्द करने के अनुरोध को स्वीकार करने के इच्छुक हैं। यदि अभियोजन अभी भी बना रहता है, तो यह उनके शांतिपूर्ण जीवन के रास्ते में आ जाएगा।
जजों ने उल्लेख किया कि पीड़ित-लड़की ने FIR रद्द करने को लेकर कोई आपत्ति नहीं दी है। उन्होंने आगे यह भी नोट किया कि आवेदक पीड़ित-लड़की के साथ शादी करने को तैयार है और इस आशय का एक वचन दिया है। बाद में हाई कोर्ट द्वारा FIR रद्द कर दी गई।
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