अहमदाबाद (Ahmedabad Court) के एक कोर्ट में पिछले महीने एक कपल का तलाक आवेदन खारिज कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने व्हाइटनर के साथ अपने आवेदन में एक गलती को सुधार लिया था। इससे अदालत को उनके अलग होने की अवधि के दावे पर संदेह हुआ, जिसके बाद कोर्ट ने उनकी तलाक की याचिका खारिज कर दी। टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) के मुताबिक, कोर्ट का यह फैसला इसी साल अगस्त महीने में आया था।
क्या है पूरा मामला?
कपल ने हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13B के तहत अपनी चार साल की शादी को खत्म करने के लिए आपसी सहमति से तलाक के लिए 20 फरवरी को अहमदाबाद के विरमगाम स्थित प्रिंसिपल सीनियर सिविल जज के समक्ष आवेदन किया। कपल ने व्हाइटनर का उपयोग करते हुए अपने आवेदन में सुधार करते हुए कहा कि वे “लगभग एक साल” से अलग रह रहे थे। इससे अदालत के मन में संदेह पैदा हुआ, जिसके बाद तलाक की याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट का आदेश
तलाक की याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13B के तहत तलाक के लिए आवेदन करने की एक शर्त यह है कि कपल को एक साल से अधिक समय तक अलग रहना चाहिए। अदालत ने कहा, “तलाक के आवेदन को ध्यान में रखते हुए व्हाइटनर लगाकर सुधार किया गया है और ‘लगभग एक साल’ लिखा गया है और हस्ताक्षर किए गए हैं।” कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसा लगता है कि हलफनामे इस दावे को साबित करने के लिए दायर किए गए थे, लेकिन आवेदकों ने सटीक तारीख नहीं बताई कि वे कब से अलग रह रहे थे।
अदालत ने कहा, “‘लगभग’ शब्द से अदालत यह कल्पना नहीं कर सकती कि अलगाव की अवधि एक साल से अधिक थी। यह स्थापित करने के लिए सबूत होना चाहिए कि कानून के प्रावधान का पालन किया गया है और कपल एक साल से अधिक समय से अलग रह रहे हैं।” तलाक की याचिका तब भी खारिज कर दी गई, जब अदालत ने तलाक की कार्यवाही से जुड़ी छह महीने की कूलिंग अवधि को माफ करने के कपल के अनुरोध को पहले ही अनुमति दे दी थी।
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