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Home हिंदी कानून क्या कहता है

दिल्ली HC ने पत्नी को पति के साथ समझौते का जानबूझकर उल्लंघन करने का पाया दोषी, एक महीने के कारावास की सुनाई सजा

Team VFMI by Team VFMI
August 18, 2023
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Husband Making Friends At Work Not Cruelty, Merely Drinking Alcohol Daily Doesn't Make Him Alcoholic When No Untoward Incident: Delhi High Court

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दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने 9 अगस्त को एक मामले की सुनवाई के दौरान एक पत्नी को अपने पति के साथ समझौते का जानबूझकर उल्लंघन करने और फैमिली कोर्ट को दिए गए समझौते का पालन करने के वचन की अवज्ञा करने के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया। जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने पत्नी पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया और उसे एक महीने के साधारण कारावास की सजा भी सुनाई। कोर्ट ने माना कि उसने केवल अपने पति पर वित्तीय समझौते को बढ़ाने के इरादे से जानबूझकर, इरादतन और अवज्ञापूर्वक वचन की अवज्ञा की, जबकि उसे विभिन्न अवसर दिए गए थे।

लीगल वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक, अदालत ने कहा कि इसलिए यह कोर्ट प्रतिवादी पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाती है। साथ ही यह अदालत प्रतिवादी को एक (1) महीने की अवधि के लिए साधारण कारावास की सजा सुनाती है। जुर्माना अदा न करने पर प्रतिवादी को अतिरिक्त 15 दिन की साधारण कैद भुगतनी होगी। अदालत ने हालांकि पत्नी को अवमानना से मुक्ति दिलाने के लिए सजा को दो सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया।

क्या है पूरा मामला?

लाइव लॉ के मुताबिक, जस्टिस अरोड़ा पारिवारिक अदालत के समक्ष दिए गए समझौते और हलफनामे के तहत पारस्परिक रूप से सहमत नियमों और शर्तों का जानबूझकर पालन न करने के लिए पत्नी के खिलाफ पति द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। कपल ने 2015 में शादी की थी। वे 2017 से अलग रहने लगे। उनके बीच विभिन्न फोरम पर 20 कानूनी कार्यवाही लंबित हैं। इस वजह से वे अपने सभी विवादों के लिए एक सौहार्दपूर्ण समाधान पर पहुंचे।

समझौता और तलाक के लिए पहली मोशन याचिका पति और पत्नी द्वारा विधिवत निष्पादित की गई और समझौते की सभी शर्तों को शामिल करने का एक हलफनामा पुष्टि की गई और फैमिली कोर्ट के समक्ष दायर की गई। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि पहला प्रस्ताव मंजूर होने के बाद पति पत्नी के पक्ष में कल्पतरु हैबिटेट कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में स्थित एक फ्लैट से संबंधित एक गिफ्ट डीड निष्पादित करेगा।

हालांकि, जिस सोसाइटी में संपत्ति थी, वहां से कुछ सहायक दस्तावेजों की खरीद के संबंध में पार्टियों के बीच कुछ विवाद पैदा होने के बाद पत्नी ने यह रुख अपनाया कि दस्तावेजों की प्राप्ति के बिना वह गिफट डीड के निष्पादन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी। उनके सुलह समझौते के अनुसार यह सहमति हुई कि पक्षकार 13 नवंबर, 2022 को या उससे पहले एक-दूसरे के खिलाफ दायर सभी कार्यवाही वापस ले लेंगे।

हालांकि, पत्नी ने कहा कि तलाक की डिक्री मंजूर होने और उपहार विलेख के निष्पादन के बाद सभी मामले वापस ले लिए जाएंगे। यह पति का मामला था, जिसका प्रतिनिधित्व वकील प्रभजीत जौहर ने किया कि निपटान समझौते के अनुसार सोसाइटी को रखरखाव शुल्क का भुगतान न करने का पत्नी का आचरण समझौते का घोर उल्लंघन था। उन्होंने यह भी कहा कि पत्नी द्वारा गिफ्ट डीड को अंतिम रूप दिए जाने के बाद भी उसका निष्पादन न करना समझौता समझौते के नियमों और शर्तों का जानबूझकर उल्लंघन है।

हाई कोर्ट

अदालत ने कहा कि यदि वह दो सप्ताह के भीतर समझौता समझौते के नियमों और शर्तों का पालन करके अपनी माफी प्रदर्शित करती है और समझौते के अनुसार उसके द्वारा दायर कानूनी कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाने का वचन देती है और अदालत से बिना शर्त माफी मांगती है तो साधारण कारावास भुगतने की सज़ा वापस ले ली जाएगी। अदालत ने कहा, “हालांकि, यदि प्रतिवादी उक्त निर्देशों का पालन नहीं करती है तो उसे आत्मसमर्पण के लिए 24 अगस्त 2023 को दोपहर 2:30 बजे तक इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है।” कोर्ट द्वारा कहा गया, “रजिस्ट्रार जनरल को उक्त तिथि पर निर्देश दिया जाता है कि दोषी अवमाननाकर्ता को हिरासत में लेने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं और उसे प्रतिबद्धता के उचित वारंट के तहत सेंट्रल जेल, तिहाड़, नई दिल्ली भेजा जाए।”

अदालत ने कहा कि इस न्यायालय की राय में प्रतिवादी द्वारा अपनी दलीलों और लिखित प्रस्तुतियों में की गई स्वीकारोक्ति कि उसने निपटान समझौते से पीछे हटने का फैसला किया है, क्योंकि वह अपने और अपने वृद्ध माता-पिता के लिए धन/वित्त के लिए संघर्ष कर रही है। यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी 01 सितंबर 2022 को पक्षों के बीच हुए वित्तीय समझौते से असंतुष्ट होने के कारण ही वह समझौता समझौते से पीछे हट रही है।

कोर्ट द्वारा यह भी देखा गया कि पत्नी का आचरण कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग का स्पष्ट सबूत था और लेकिन निपटान समझौते से मुकरने का वास्तविक आधार नहीं था। अदालत ने कहा कि इस न्यायालय की राय में यदि प्रतिवादी के इस रुख को स्वीकार कर लिया जाता है तो इससे कानूनी कार्यवाही और न्यायालय को दिए गए वचनों में आम जनता का विश्वास कम हो जाएगा। प्रतिवादी की दलीलें और उसका रुख निपटान समझौते के नियमों और शर्तों का पालन करने के लिए अदालत को दिए गए वचन के प्रति बहुत कम सम्मान दर्शाता है।

Delhi High Court Sentences Wife To
1-Month Jail & Rs 2,000 Fine…After She Goes Back On One-Time Divorce Settlement Agreement With Husband

▪️Married in 2015, parties have been separated since 2017

▪️There are about 20 legal proceedings pending against each other in the matter… pic.twitter.com/m9Stbx2oyF

— Voice For Men India (@voiceformenind) August 10, 2023

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वौइस् फॉर मेंन

VFMI ने पुरुषों के अधिकार और लिंग पक्षपाती कानूनों के बारे में लेख प्रकाशित किए.

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