रुचिका मोहंती (Ruchika Mohanty) नाम की एक इतिहास ग्रेजुएट की छात्रा ने शनिवार को खुदकुशी कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। छात्रा ने सीनियर्स द्वारा रैगिंग करने और उसे परेशान करने का आरोप लगाया था। कटक की रहने वाली 18 वर्षीय सुसाइड नोट से पता चला कि वह अब और यातना नहीं सह सकती थी।
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद ओडिशा में जन्मी ओलंपियन दुती चंद (Olympian Dutee Chand) ने रविवार को चौकाने वाला दावा करते हुए कहा कि 2006 से 2008 के दौरान यहां के स्पोर्ट्स हॉस्टल में उन्हें सीनियरों द्वारा रैगिंग का सामना करना पड़ा था।
दुती ने यह बात शनिवार को ‘बीजेबी ऑटोनॉमस कॉलेज’ की छात्रा द्वारा रैगिंग के कारण आत्महत्या करने के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जवाब में कही। इस फर्राटा धाविका ने कहा, ‘‘दीदी (सीनियर) मुझे ‘स्पोर्ट्स हॉस्टल’ में अपने शरीर की मालिश करने और अपने कपड़े धोने के लिए मजबूर करती थीं।’’
दुती ने दावा किया कि होस्टल के सीनियर ने उनकी वित्तीय स्थिति का मजाक भी उड़ाया था, लेकिन जब अधिकारियों से इसकी शिकायत की गई तो उस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। ओलंपियन ने कहा कि जब मैं हॉस्टल प्रभारी से शिकायत करती थी तो मुझे डांटा जाता था। मेरे लिए यह मानसिक रूप से मुश्किल स्थिति थी। मैं उस समय असहाय थी।
भुवनेश्वर स्थित ‘स्पोर्ट्स हॉस्टल’ के अधिकारियों ने इस मामले में हालांकि अभी तक प्रतिक्रिया नहीं दी है। पिछले सप्ताह भुवनेश्वर में रुचिका मोहंती नामक एक सिविल सेवा की तैयारी कर रही छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। छात्रा के पास से सुसाइड नोट मिला था, जिसमें कुछ सीनियर्स के नाम थे और उन पर रैगिंग का आरोप लगाया गया था। इस मामले के बाद ओडिशा में राजनीतिक तनाव बना हुआ है और इसी घटना को देखने के बाद दुती ने लगभग डेढ़ दशक पुरानी अपनी आपबीती सुनाई है।
वॉयस फॉर मेन इंडिया के लिए यह पोस्ट बनाने का कारण यह है कि कैसे दुर्व्यवहार का कोई जेंडर नहीं होता है। महिलाएं अपने स्वयं के जेंडर के लिए बदतर हो सकती हैं। हालांकि, हम हमेशा पितृसत्ता और पुरुषों को किसी भी चीज के लिए दोषी ठहराते हैं जो एक महिला को विफल या डिमोटिवेट करती है। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं, चाहें वह किसी भी जेंडर का दुर्व्यवहार करने वाला हो।
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