यदि आप हमारी वेबसाइट पर हरियाणा से कैप्टन राठी (Capt Rathee’s story from Haryana) की स्टोरी को फॉलो कर रहे हैं, तो इस मामले में एक ताजा अपडेट है। यह मामला अगस्त 2020 का है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, जून 2020 में हरियाणा के झज्जर में कैप्टन राठी की 77 वर्षीय मां और 80 वर्षीय पिता को उनकी पत्नी ने उनके घर पर कथित तौर पर बेरहमी से पिटाई की थी। ससुराल पक्ष पर हमला करते समय महिला ने चमड़े की बेल्ट और डंडों का इस्तेमाल किया था। हैरानी की बात यह है कि पुलिस के पहुंचने के बाद उन्होंने बहू के पक्ष में ही FIR लिखी थी।
हालांकि, इस मामले में बेटा और पति (कैप्टन राठी) अपने माता-पिता को न्याय दिलाने के लिए अथक संघर्ष कर रहे हैं। पति ने वॉयस फॉर मेंन इंडिया को बताया कि महिला ने घटना के बाद अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया और दिल्ली में अपने माता-पिता के घर रहने के लिए वापस चली गई।
हालांकि, अब बहू इस बात पर जोर दे रही है कि उसकी सास के नाम की वैवाहिक संपत्ति उसके नाम पर ट्रांसफर की जाए। पति के पक्ष ने ‘हिंसक’ बहू को घर वापस लौटने से रोकने के लिए जिला अदालत में एक मामला दायर किया, जो कथित तौर पर उस व्यक्ति और उसके माता-पिता के जीवन के लिए खतरा साबित हो सकती है।
हालांकि, बहादुरगढ़ जिला अदालत के CJ (JD) विवेक कुमार ने महिला के पक्ष में पूरी तरह से अलग राय दी थी। वादी (सास) के विद्वान वकील ने कहा था कि वाद संपत्ति वादी की स्वयं अर्जित संपत्ति है और प्रतिवादी (बहू) का उस पर कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने आगे कहा था कि प्रतिवादी को वादी की संपत्ति में प्रवेश करने से रोका जाना चाहिए, क्योंकि उससे वहां वादी की जान को का खतरा है। इस दौरान प्रतिवादी के विद्वान वकील ने तर्क दिया कि प्रतिवादी वादी की बहू है और प्रतिवादी के विरुद्ध कोई अंतरिम स्थगन अनुरक्षणीय नहीं है।
कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने कहा था कि जैसा कि तर्क के दौरान स्वीकार किया गया कि गोविंद राठी जो प्रतिवादी का पति और वादी का बेटा है, वादी और उसके पति के साथ वाद की संपत्ति में भी रह रहा है। इसलिए, इस न्यायालय का विचार है कि वाद संपत्ति प्रतिवादी का वैवाहिक घर है और इस स्तर पर वादी के पक्ष में अंतरिम रोक लगाने का कोई आधार नहीं है, क्योंकि प्रतिवादी होने के नाते बहू को भी अपने वैवाहिक घर में रहने का अधिकार है।
कोर्ट ने कहा कि जहां तक वादी के तर्क का संबंध है कि वादी को जीवन का आसन्न खतरा है, यह एक पूरी तरह से अलग मामला है। यह भूमि के आपराधिक कानून द्वारा शासित है। इस स्तर पर वादी के पक्ष में अंतरिम रोक लगाने का कोई आधार नहीं है। कोर्ट ने उस वक्त 19 सितंबर 2020 को लिखित बयान दाखिल करने और प्रतिवादी द्वारा स्थगन आवेदन का जवाब देने के लिए कहा था।
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