गुजरात के अहमदाबाद की एक अदालत (Court in Ahmedabad) ने मार्च 2021 में एक स्टाफ नर्स को 31 वर्षीय डॉक्टर को 10,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। नर्स ने डॉक्टर के खिलाफ दिसंबर 2019 में छेड़छाड़ का झूठा मामला दर्ज कराया था।
क्या है पूरा मामला?
गुजरात के बनासकांठा जिले के सुइगाम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) के तत्कालीन प्रभारी अधीक्षक डॉ अशोक चौधरी पर 12 दिसंबर, 2019 को स्टाफ नर्स द्वारा छेड़छाड़, उसके कंधों पर हाथ रखने, गाली-गलौज और धमकी देने का आरोप लगाया गया था।
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने मुकदमे के बाद निष्कर्ष निकाला कि नर्स द्वारा लगाया गया छेड़छाड़ का आरोप झूठा था। उसने अपने रिश्तेदारों को सीएचसी के कमरों में सोने दिया और जब चौधरी को पता चला तो उसने उसे फटकार लगाई। इसलिए, उसने उसके खिलाफ झूठा छेड़छाड़ का मामला दर्ज करके उसे सबक सिखाने का फैसला किया।
कानून के दुरुपयोग पर अदालत की टिप्पणी
अदालत ने देखा कि ऐसा प्रतीत होता है कि शिकायतकर्ता ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून का दुरुपयोग किया है और ऐसे लोगों को कानून का दुरुपयोग करने से रोकना आवश्यक है। अदालत ने नर्स को फर्जी मामला दर्ज कर सीनियर डॉक्टर को ‘मानसिक, शारीरिक और सामाजिक प्रताड़ित’ करने के लिए 10 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। अदालत ने यह भी कहा था कि अगर वह एक महीने के भीतर डॉक्टर को मुआवजे की राशि का भुगतान करने में विफल रहती है, तो उसे 30 दिनों की जेल होगी।
इसके अलावा, अदालत ने ट्रायल के दौरान यह भी पाया कि नर्स मरीजों को सरकारी अस्पताल में इलाज कराने से मना कर रही थी और उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में भेज रही थी। यह देखते हुए कि उसकी हरकतें “सामाजिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक” थीं, अदालत ने हेल्थ कमिश्नर को जांच करने और नर्स के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
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