गुजरात के अहमदाबाद की एक महिला ने अपने पति पर तीन बार “तलाक” चिल्लाया, जिससे उसे तुरंत ‘तीन तलाक’ मिल गई। हालांकि बाद में यह मामला वेजलपुर थाने में गया, लेकिन तलाक मंजूर नहीं हुआ। यह मामला अगस्त 2020 का है।
क्या है पूरा मामला?
वेजलपुर पुलिस के सामने एक अनोखा मामला सामने आया था, जिसमें जुहापुरा की रहने वाली 32 वर्षीय महिला मुमताज शेख ने अपने पति को तीन तलाक बोलकर अपने तीन बच्चों को अपने मायके लेकर चली गई। शेख के पिता ने कथित तौर पर पुलिस को बताया था कि उनकी बेटी ने घर छोड़ दिया, क्योंकि वह 33 वर्षीय अपने पति शेरखान पठान द्वारा किए गए दुर्व्यवहार से थक गई थी।
पठान बाद में अपने परिवार से मिलने और उन्हें उनके घर वापस लाने के लिए अपने ससुर के घर गए। हालांकि, पठान ने बताया कि उनके ससुर द्वारा कथित तौर पर उन पर हमला किया गया था। पति से कहा गया था कि वह उनके (ससुराल) आने और अपने परिवार को वापस लेने के लिए परेशान न हो, क्योंकि उनकी पत्नी मुमताज ने तत्काल तलाक पर कार्रवाई की थी।
वेजलपुर थाने में मारपीट की दो अलग-अलग शिकायतें मुमताज के पिता और दूसरी उनके पति ने दर्ज कराई। शेख ने घटना के एक हफ्ते पहले शेरखान से अलग होने के बाद घरेलू हिंसा का मामला भी दर्ज कराया था। उसने पुलिस को यह भी बताया था कि पठान उसे छोटी-छोटी बातों पर पीटता था।
हालांकि, वेजलपुर पुलिस के इंस्पेक्टर एलडी ओडेदरा ने तत्काल तलाक की इस प्रथा को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इस तलाक को न तो देश के कानूनों के तहत और न ही इस्लामिक कोड के तहत वैध माना जा सकता है।
एक इस्लामी जानकार मुफ्ती असजद कासमी ने कहा कि एक पत्नी अपने पति को इस्लामी कानूनों के तहत तलाक नहीं दे सकती है। उन्होंने उल्लेख किया कि पत्नी द्वारा अपने पति को दिया गया तलाक अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि इस तरह के तलाक को वैध नहीं माना जाएगा।
पठान ने अपनी FIR में कहा है कि शनिवार को उनके ससुर ने उन पर हमला किया था। उन्होंने कहा कि जब मैं अपनी पत्नी से बात कर रहा था, तो मेरे ससुर ने मेरे चेहरे पर घूंसा मारा। मेरे जीजा मुजस्सिम शेख भी मेरे ससुर के साथ मेरी पिटाई करने के लिए गए थे और मुझ पर तलवार से हमला किया था।
ट्रिपल तलाक कानून
आपको बता दें कि भारत में तीन तलाक को लेकर नया कानून बनाया गया है। यह कानून 30 जुलाई 2019 को बनाया गया था, जिसमें प्रावधान रखे गए कि कोई भी व्यक्ति मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देकर डिवोर्स नहीं ले सकता बल्कि उसको अदालत के जरिए तलाक के नियमों का पालन करना होगा। अगर कोई ट्रिपल तलाक यानी तीन तलाक को अपनाता है तो वह एक आपराधिक मामला माना जाएगा। 1 अगस्त 2019 को देश में ट्रिपल तलाक (Triple Talaq) कानून लागू हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में इस प्रथा को असंवैधानिक घोषित किया था। नए कानून का उल्लंघन करने वाले पुरुषों को तीन साल तक की जेल हो सकती है। बिल पहली बार 2017 में पेश किया गया था, लेकिन संसद के ऊपरी सदन में रुक गया था, क्योंकि कुछ सांसदों ने इसे अनुचित बताया था। साल 2019 में एक बार फिर कानून पारित किया गया था, जहां ट्रिपल तालक प्रथा एक आपराधिक अपराध बन गई।
उपरोक्त मामले में महिला ने पति द्वारा घरेलू हिंसा का हवाला देते हुए इस असंवैधानिक प्रथा का इस्तेमाल किया है। ज्यादातर लोग इसे सही भी ठहराते हैं, क्योंकि महिला के आरोप किसी पुरुष को तलाक दिलाने या उसे सलाखों के पीछे डालने के लिए काफी हैं। हालांकि, अगर जेंडर को उलट दिया जाता है, तो औचित्य की कोई भी राशि समाज को स्वीकार्य नहीं होगी।
In A Reverse, Gujarat Woman Gives Instant Triple Talaq To Husband & Leaves Home With Kids
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