Hapur Lathicharge Matter: 29 अगस्त को हापुड लाठीचार्ज की घटना को लेकर वकीलों की चल रही हड़ताल पर चिंता व्यक्त करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने 14 सितंबर को कहा कि हड़ताल कोई समाधान नहीं हो सकता। वकीलों की हड़ताल से इलाहाबाद हाई कोर्ट के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की जिला अदालतों में भी न्यायिक कार्य प्रभावित हुआ। अदालत की टिप्पणी के बाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और राज्य विधिज्ञ परिषद (बार काउंसिल) उत्तर प्रदेश ने उसी दिन रात को मुख्य सचिव से वार्ता के बाद हड़ताल वापस ले ली, जिसके बाद 15 सितंबर को करीब 15 दिन बाद वकील काम पर लौट आए।
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
हाई कोर्ट ने हड़ताल पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि समाधान यह हो सकता था कि अदालतों को काम करने दिया जाए और अधिकारियों एवं नौकरशाहों को जवाबदेह बनाया जाए। उन्हें लाठीचार्ज की अपनी कार्रवाई को सही ठहराने के लिए अदालतों के सामने उपस्थित होने के लिए बाध्य किया जाए, न कि अदालतों को बंद कर दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि दोषी अधिकारियों को स्वतंत्र रूप से घूमने की आजादी दी जाए। और इस विश्वास के साथ मुस्कुराते हुए कि स्पष्टीकरण मांगने या उनके खिलाफ कार्रवाई करने या उपचारात्मक उपाय करने वाला कोई नहीं है।
जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र ने ये टिप्पणियां तब कीं जब वकीलों की चल रही हड़ताल के कारण प्रभात कुमार और एक अन्य के मामले में फिजिकल या वर्चुअल मोड में कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। हड़ताल के दुष्परिणामों की ओर इशारा करते हुए अदालत ने आगे कहा कि यदि कानून की अदालतें लंबे समय तक बंद रहती हैं, तो लोग अपनी शिकायतों के निवारण के लिए अन्य तरीकों का सहारा ले सकते हैं, जिनमें ये भी शामिल हैं।
अदालत ने आगे कहा कि यदि यह स्थिति काफी समय तक बनी रहती है, तो समाज के साथ-साथ व्यक्तियों और समग्र रूप से राष्ट्र पर इसके परिणाम का आकलन नहीं किया जा सकेगा। उस स्थिति में हम निश्चित रूप से हमें संविधान और उसकी आत्मा देते समय खुद पर व्यक्त विश्वास को तोड़ देंगे और वह हम सभी के लिए सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन होगा।
मौजूदा मामले को 30 अक्टूबर, 2023 तक के लिए स्थगित करते हुए कोर्ट ने कहा, ”अदालत बहुत भारी मन से इस मामले को न्याय के हित में इस आशा और विश्वास के साथ स्थगित करती है कि वकील न केवल दुर्दशा, संकट, रोना-धोना समझेंगे। और बड़े पैमाने पर समाज की शिकायत, बल्कि उनकी अपनी भलाई और हड़ताल के समग्र दुष्प्रभाव भी और जल्द ही मामले पर बहस करने के लिए आएंगे।
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