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Home हिंदी कानून क्या कहता है

पति का वर्कप्लेस पर दोस्त बनाना क्रूरता नहीं, केवल रोजाना शराब पीना उसे शराबी नहीं बनाता, जब तक कि कोई अप्रिय घटना नहीं हुई हो: कोर्ट

Team VFMI by Team VFMI
October 9, 2023
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Husband Making Friends At Work Not Cruelty, Merely Drinking Alcohol Daily Doesn't Make Him Alcoholic When No Untoward Incident: Delhi High Court

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दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कहा है कि जब पति और पत्नी दोनों काम की जरूरतों के कारण अलग-अलग रह रहे हों तो वर्कप्लेस पर या किसी अन्य जगह दोस्त बनाना क्रूरता नहीं कहा जा सकता। अदालत ने कहा कि एक व्यक्ति जो अकेले रह रहा है, उसे दोस्त बनाकर सांत्वना मिल सकती है, और केवल इसलिए कि ऐसा व्यक्ति दोस्तों से बात करता था, इसे न तो जीवनसाथी की अनदेखी करने का कृत्य माना जा सकता है और न ही क्रूर कृत्य माना जा सकता है। अदालत ने यही कहा कि यदि कोई पति या पत्नी विवाहेतर अवैध या अंतरंग संबंध को नजरअंदाज करता है, तो इसे बाद में तलाक की कार्यवाही में क्रूरता का कार्य नहीं कहा जा सकता है।

क्या है पूरा मामला?

हाई कोर्ट ने ये टिप्पणियां एक महिला द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए कीं, जिसमें उसने अपने पति को परित्याग और क्रूरता के आधार पर तलाक देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। अदालत ने फैमिली कोर्ट के 2018 के उस आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील खारिज कर दी जिसमें उसने तलाक मंजूर किया था। पति ने फैमिली कोर्ट के समक्ष कई आधारों पर अपनी पत्नी से तलाक मांगा था। इसमें यह भी शामिल था कि सेना का एक अधिकारी होने के नाते, उसकी तैनाती विभिन्न स्थानों पर होती थी लेकिन उसने कभी भी उसके वर्कप्लेस पर उससे मिलने आने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और उसे अपनी बेटी से घुलने मिलने नहीं दिया।

उन्होंने यह भी दावा किया कि पत्नी पुणे चली गई और पिता और बच्ची के बीच किसी भी संपर्क को खत्म करने के लिए बेटी को दिल्ली के स्कूल से हटा लिया। पति ने आगे आरोप लगाया कि पत्नी ने जून 2008 में एकतरफा तौर पर साथ रहना बंद कर दिया और सैन्य अधिकारियों के समक्ष झूठी शिकायतें कीं और उसके खिलाफ निंदनीय आरोप लगाए। पति ने अदालत को बताया कि वह एक भारतीय सेना अधिकारी है और आधिकारिक ड्यूटी के लिए विभिन्न क्षेत्रों में तैनात है।

उन्होंने कहा कि पत्नी के उदासीन रवैये के कारण उनके और उनकी पत्नी के बीच रिश्ते खराब हो गए थे। पति ने दावा किया कि पत्नी उससे बहुत कम बात करती थी, जिससे उसके मन में गहरी निराशा और अवसाद था। पति ने आगे तर्क दिया कि उस पर दोष मढ़ने के लिए पत्नी ने कमांडिंग ऑफिसर, परिवार कल्याण संगठन और सेना मुख्यालय को कई शिकायतें लिखीं, जिसमें “निराधार, तुच्छ और झूठे आरोप” लगाए गए और उसे और उनकी बेटी को छोड़ने के लिए दोषी ठहराया गया।

वहीं, पत्नी ने तर्क दिया कि पुरुष ने विवाहेतर संबंध जारी रखा है और तलाक के माध्यम से अपीलकर्ता (पत्नी) से छुटकारा पाकर अपनी गलती का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। पति ने अपने पति द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार किया। उसने आगे दावा किया कि पति अपनी सलाना छुट्टियों के दौरान केवल कुछ समय के लिए उससे मिलने आता था और इस अवधि के दौरान उसने उस पर शारीरिक और मानसिक क्रूरता की।

हाई कोर्ट

अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में बेटी पूरी तरह से अलग-थलग हो गई और उसका इस्तेमाल पति के खिलाफ किया गया। हाई कोर्ट ने अलग रह रहे कपल के तलाक को बरकरार रखते हुए कहा है कि पति या पत्नी में से किसी एक द्वारा दूसरे जीवनसाथी को बच्चे के प्यार से वंचित करना मानसिक क्रूरता के समान है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने हाल के एक आदेश में कहा, “फैमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज सही निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि बच्ची का इस तरह से अलगाव एक पिता के प्रति मानसिक क्रूरता का चरम कृत्य है, जिसने बच्ची की कभी उपेक्षा नहीं की।”

अदालत ने कहा कि कलह और विवाद कपल के बीच था, जिन्होंने 1996 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी की थी और रिश्ते में कितनी भी कड़वाहट क्यों न हो, बच्चे को इसमें लाना या उसका इस्तेमाल पिता के खिलाफ करना उचित नहीं है।

पीटीआई के मुताबिक अदालत ने कहा, “माता-पिता में किसी एक के द्वारा दूसरे को इस तरह के प्यार से वंचित करने का कोई भी कार्य बच्चे को अलग-थलग करने के समान है, यह मानसिक क्रूरता के समान है… अपने स्वयं के बच्चे द्वारा अस्वीकार करने से अधिक कष्टदायी कुछ भी नहीं हो सकता। बच्चे को इस तरह जानबूझकर अलग थलग करना मानसिक क्रूरता के समान है।”

कोर्ट ने शराब पीने के तर्क को किया खारिज

अदालत ने पति द्वारा रोजाना शराब पीने के संबंध में अपीलकर्ता पत्नी की आपत्तियों को भी खारिज कर दिया। पीठ ने कहा, “सिर्फ इसलिए कि कोई व्यक्ति रोजाना शराब पीता है, वह शराबी नहीं बन जाता या उसका चरित्र खराब नहीं हो जाता जब तक कि कोई अप्रिय घटना नहीं हुई हो।” अदालत ने यह भी कहा कि वर्कप्लेस पर मित्र बनाने को भी क्रूरता नहीं कहा जा सकता, जब दोनों पक्ष काम की जरूरतों के कारण अलग-अलग रह रहे हों।

अदालत ने मामले पर विचार किया और माना कि पत्नी ने अपनी इकलौती बेटी को अलग करके और पति के वरिष्ठों को विभिन्न शिकायतें लिखकर पति के खिलाफ क्रूरता की है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि मामले में परित्याग का कोई आधार नहीं बनाया गया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर तलाक बरकरार रखा।

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VFMI ने पुरुषों के अधिकार और लिंग पक्षपाती कानूनों के बारे में लेख प्रकाशित किए.

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