एक महत्वपूर्ण आदेश में मुंबई की एक फैमिली कोर्ट (Mumbai Family Court) ने 83 वर्षीय ब्रीच कैंडी कारोबारी और उनकी 76 वर्षीय पत्नी को उनकी अलग रह रही बहू द्वारा दायर घरेलू हिंसा के एप्लीकेशन (Domestic Violence Application) में बड़ी राहत दी है।
फैमिली कोर्ट के अनुसार, दोनों पक्ष 2010 में शादी के बाद से अलग रह रहे हैं, और इस प्रकार प्रोटेक्शन ऑफ वूमेन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005 (PWDVA) के तहत उनके बीच कोई घरेलू संबंध मौजूद नहीं है। अदालत ने वरिष्ठ दंपति की वकील कनुप्रिया केजरीवाल (Kanupriya Kejriwal) की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें महिला के आवेदन से उनका नाम हटा दिया गया था।
क्या है पूरा मामला?
एक 42 वर्षीय महिला (जो दंपति के बेटे के साथ तलाक की लड़ाई रही है) ने अपने पति और ससुराल वालों द्वारा मानसिक यातना और भावनात्मक संकट का हवाला दिया था और 25 करोड़ रुपये मुआवजे और नेपियन सी रोड पर अपनी पसंद के एक फ्लैट का दावा किया था। अलग हुए दंपति का एक बच्चा भी है। महिला वर्तमान में नेपियन सी रोड पर अपने माता-पिता और बेटे के साथ रहती है।
फैमिली कोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने वकील केजरीवाल की दलीलों को स्वीकार कर लिया कि ससुराल वालों द्वारा उस परिसर में जाना जहां महिला पहले अपने बेटे के साथ रहती थी, यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं था कि वे एक ही घर में रहते थे या उसके साथ घरेलू संबंध थे। केजरीवाल ने यह भी कहा कि महिला ने खुद स्वीकार किया था कि वे हमेशा अलग-अलग घरों में रहती थीं। 2017 में महिला और उसके पति के अलग होने तक वे महालक्ष्मी में ही रहे। उनकी इमारत में ससुर का कार्यालय भी था, जहां वह प्रतिदिन जाते थे और वहां एक मंदिर भी है जहां उसकी सास अक्सर जाती थी।
जज स्वाति चौहान ने कहा कि रिश्तेदार होना और घरेलू रिश्ते में होना दो अलग-अलग अवधारणाएं हैं। कोर्ट ने कहा कि मामले में आवेदक (महिला) और गैर-आवेदक संख्या 1 (उसका पति), अपनी शादी के बाद से गैर-आवेदक संख्या 2 (ससुर) और 3 (सास) से अलग रह रहे थे। इसलिए PWDVA के अनुसार, आवेदक और गैर-आवेदक संख्या 1 को गैर-आवेदक संख्या 2 और 3 के साथ घरेलू संबंध नहीं कहा जा सकता है।
फैमिली कोर्ट ने आगे कहा कि प्रोटेक्शन ऑफ वूमेन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005 (PWDVA) के प्रावधानों को आकर्षित करने के लिए मानदंड ज्वाइंट बिजनेस नहीं है, बल्कि एक छत के नीचे संयुक्त रूप से एक साथ रहना है। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि आवेदक की इन शिकायतों को PWDVA के प्रावधानों के तहत तभी कवर किया जाएगा, जब गैर-आवेदक संख्या 2 और 3 उसके साथ एक ज्वाइंट परिवार के रूप में एक ही छत के नीचे रह रहे हों।
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ARTICLE IN ENGLISH:
In-Laws Cannot Be Made Party To Domestic Violence Case When Daughter-in-Law Never Lived Under Same Roof | Mumbai Court
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