महाराष्ट्र विधान परिषद ने शुक्रवार को शक्ति आपराधिक कानून (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक 2020 (Maharashtra Shakti Criminal Law (Maharashtra Amendment) Bill, 2020) को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसमें महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए मौत की सजा समेत कई कड़े दंड के प्रावधान किए गए हैं। राज्य विधानसभा ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के दिशा कानून (Andhra Pradesh Disha Act) पर आधारित इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश के बाद बलात्कार और गैंगरेप के जघन्य अपराधों के लिए मौत की सजा को मंजूरी देने वाला भारत का दूसरा राज्य बन गया है। विधेयक का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध को रोकना है। नया कानून बलात्कार के मामलों में मौत की सजा सहित कड़ी सजा का प्रावधान करता है। शक्ति विधेयक को महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल (Dilip Walse Patil) ने बुधवार को विधानसभा के समक्ष पेश किया। पाटिल ने इसे पेश करते हुए कहा कि संयुक्त चयन समिति ने विधेयक पर 13 बैठकें की और इस महीने की शुरुआत में हुई बैठकों में प्रस्तावित संशोधनों को अंतिम रूप दिया गया।
झूठी शिकायत करने वाले के खिलाफ भी होगी कार्रवाई
इस विधेयक में झूठा मामला दर्ज करने या किसी व्यक्ति को झूठी सूचना देने के मामले में कम से कम 3 साल की जेल और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। राज्य के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने बताया कि कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए झूठी शिकायत करने वालों को भी इस विधेयक में एक साल से तीन साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि मैं यह दावा नहीं करूंगा कि यह एक पुख्ता कानून है, लेकिन यह जांच में तेजी लाएगा और एक प्रतिरोधक के रूप में काम करेगा। कानून में न केवल महिलाओं की रक्षा, बल्कि यदि कोई इसका दुरुपयोग करने की कोशिश करता है और (झूठी शिकायत दर्ज करके) किसी व्यक्ति की छवि खराब करता है तो 3 लाख रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है।
30 दिनों में जांच पूरे किए जाने का प्रावधान
शक्ति विधेयक में क्राइम के ऐसे मामलों की जांच घटना की तारीख से 30 दिनों में पूरे किए जाने का प्रावधान है और जांच अधिकारियों द्वारा आवश्यक होने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के लिए जानकारी शेयर करना अनिवार्य किया गया है। साथ ही इसमें पुलिस जांच के लिए डेटा शेयर करने में विफलता के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, इंटरनेट या मोबाइल टेलीफोनी डेटा प्रदाताओं के खिलाफ 3 महीने तक की कैद और 25 लाख रुपये का जुर्माना या दोनों जैसी सजा शामिल है।
विधेयक के पहले मसौदे में अपराध दर्ज होने की डेट से 15 दिन के भीतर जांच पूरी होने का प्रस्ताव था। इसमें कोई अड़चन आने पर सीनियर अधिकारियों के निर्देश पर इसे अधिकतम 7 दिन तक बढ़ाया जा सकता था। फिर संयुक्त समिति ने जांच अधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद यह पाया कि इतने कम समय में जांच करने से गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है और इसीलिए इसे बढ़ाकर 30 दिन कर दिया गया है। बलात्कार के लिए मौत की सजा के प्रावधान पर गृह मंत्री पाटिल ने कहा कि हर दोषी व्यक्ति को मौत की सजा नहीं मिलेगी। फैसला अपराध की गंभीरता पर निर्भर करेगा।
एसिड अटैक मामले की सजा भी बढ़ेगी
शक्ति विधेयक में IPC (Indian Penal Code) की धारा 326 में संशोधन करके महिलाओं पर एसिड हमले करने वालों का अपराध सिद्ध होने पर पहले जो 10 साल की सजा का प्रावधान था, उसे संशोधित विधेयक में बढ़ाकर न्यूनतम 15 साल और अधिकतम सजा स्वाभाविक मृत्यु होने तक जेल में ही रखने का प्रावधान है। अपराधियों से वसूले जाने वाले जुर्माने की रकम से एसिड अटैक से पीड़ित महिला की प्लास्टिक सर्जरी का खर्च भी देने का प्रावधान किया गया है।
दिसंबर 2019 में महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा की कि वह आंध्र प्रदेश के दिशा ऐक्ट की तर्ज पर एक कानून लाएगी, जिसमें बलात्कार और गैंगरेप के लिए मौत की सजा का प्रावधान होगा। शक्ति विधेयक के तहत सरकार ने बलात्कार, तेजाब हमले और बाल शोषण के गंभीर अपराधों में मौत की सजा का प्रावधान है और इसमें सजा की अवधि भी बढ़ा दी गई है।
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