मुंबई की दंडाधिकारी (मजिस्ट्रेट) अदालत ने बुधवार को वेब कॉमेडी चैनल ‘द वायरल फीवर’ (TVF) के संस्थापक और पूर्व सीईओ अरुणाभ कुमार (Arunabh Kumar) को साल 2017 में दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले में बरी कर दिया। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मुंबई की अदालत ने FIR दर्ज कराने में ‘अस्पष्ट और अतार्किक देरी’ को कारण बताते हुए यह फैसला सुनाया।
क्या है पूरा मामला?
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, कथित घटना साल 2014 की है। सोशल मीडिया के जरिए कई महिलाओं द्वारा इस तरह के आरोप लगाए जाने के बाद घटना के तीन साल बाद शिकायत दर्ज कराई गई थी। महिला ने गुमनाम रूप से मीडियम डॉट कॉम पर ‘द इंडियन उबर- दैट इज TVF’ शीर्षक के तहत एक पोस्ट किया था और कहा था कि ऑनलाइन कंटेंट कंपनी के संस्थापक ने कंपनी में अपने कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर उसके साथ छेड़छाड़ की थी।
पूर्व कर्मी की शिकायत पर अंधेरी पुलिस ने 2017 में कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा-354A (यौन उत्पीड़न), धारा-509 (महिला के सम्मान को भंग करने के इरादे से शब्द, भाव-भंगिमा या कृत्य) के तहत मामला दर्ज किया था।
कोर्ट का आदेश
अदालत ने रेखांकित किया कि यह कहा जा सकता है कि शिकायत ‘ईष्या’ या कारोबारी दुश्मनी की वजह से दर्ज कराई गई। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (अधेरी अदालत) ए.आई. शेख ने कुमार को इस साल सितंबर में आरोप मुक्त किया था। हाल में फैसले की विस्तृत प्रति उपलब्ध हुई। मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष की ओर से कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया। मामले में खामियां और विरोधाभास है। अस्पष्ट और आतर्किक देरी प्राथमिकी दर्ज करने में हुई है, जो अभियोजन की ओर से सामने रखे गए मामले पर सवाल खड़ा करती है।’
अदालत ने यह भी कहा कि यह भी कहा जा सकता है कि शिकायत आरोपी और शिकायत दर्ज करने वाले के बीच ईर्ष्या और कारोबारी दुश्मनी की वजह से दर्ज कराई गई। बता दें कि अरुणाभ कुमार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) से ग्रेजुएट हैं और साल 2011 में उन्होंने TVF की स्थापना की थी। यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद अरुणाभ ने 2017 में TVF के सीईओ के रूप में पद छोड़ दिया था और धवल गुसाईं को कार्यभार सौंप दिया।
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