मुंबई (Mumbai) से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक सेशन कोर्ट ने जलेबी बेचने वाले एक पुरुष को उस महिला को भरण-पोषण देने का आदेश दिया है, जिसके बारे में उसने दावा किया था कि उसका उसके साथ घरेलू संबंध कभी नहीं रहा। अदालत ने शख्स के दावों को खारिज करने के लिए पति के रूप में महिला के आधार कार्ड सहित कई अन्य सबूत देखे।
क्या है पूरा मामला?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, शख्स ने एक महिला से शादी की थी जिसने अपने पहले पति से कस्टमरी तलाक (Customary Divorce) ले लिया था। हालांकि, पुरुष ने महिला के साथ किसी भी घरेलू संबंध से इनकार किया, क्योंकि उसने तर्क दिया कि उसने अपने पहले पति को तलाक नहीं दिया और दूसरी शादी कर ली। इसलिए, यह नहीं कहा जा सकता कि वह उसके साथ घरेलू संबंध में थी।
शख्स ने अदालत को आगे बताया कि महिला ने इस बात को छुपाया कि वह सिलाई का व्यवसाय कर रही है और आय अर्जित कर रही है। उस व्यक्ति ने यह भी दावा किया कि वह एक ठेले पर ‘जलेबियां’ बेचकर बहुत कम राशि कमाता है। इसलिए वह महिला को भरण पोषण देने में असमर्थ है।
कोर्ट का आदेश
अदालत ने पाया कि महिला का नाम पुरुष के राशन कार्ड में दर्ज था और उसका नाम उसके आधार कार्ड पर उसके पति के रूप में दिखाई दिया। अदालत ने देखा कि दोनों ने सहमति व्यक्त की कि वे अपने पहले पति से कस्टमरी तलाक लेने के बाद साल 2004 से 14 साल की अवधि के लिए एक ही छत के नीचे रहे थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला ने पुरुष से अपनी पहली शादी की बात कभी नहीं छुपाई।
सेशन कोर्ट के जज विशाल गाइके ने कहा कि निचली अदालत ने “शादी से पहले महिला के पक्ष में पुरुष द्वारा किए गए समझौते पर सही विचार किया था, जिसमें वह उसे और पहली शादी से पैदा हुई उसकी बेटी को स्वीकार करने के लिए सहमत हुआ था।”
जज गाइके ने आगे कहा, “अगर पुरुष को पहली शादी और महिला के कस्टमरी तलाक के बारे में शुरू से ही स्पष्ट जानकारी थी, तो वह अब यह दावा नहीं कर सकता कि उसके और महिला के बीच कोई घरेलू संबंध नहीं था।”
अदालत ने पक्षों के ज्वाइंट बैंक अकाउंट पर भरोसा किया और उस व्यक्ति के इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि वह अपने व्यवसाय से अच्छी कमाई नहीं कर रहा था। सेशन कोर्ट ने माना कि महिला और उसकी बेटी के भरण-पोषण की प्राथमिक जिम्मेदारी पुरुष पर है। इसके साथ ही कोर्ट ने महिला को प्रति माह 11,000 रुपये की रखरखाव राशि प्रदान करने का आदेश दिया।
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