सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में समलैंगिक विवाह (Same-Sex Marriage) को कानूनी मान्याता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर हो रही सुनवाई के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू (Kiren Rijiju) ने बुधवार 26 अप्रैल को कहा कि विवाह संस्था जैसा महत्वपूर्ण मामला देश के लोगों द्वारा तय किया जाना चाहिए, क्योंकि अदालतें ऐसे मुद्दों को निपटाने का मंच नहीं हैं। कानून मंत्री के इस बयान के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत सरकार समलैंगिक विवाह मामले की तरह मैरिटल रेप (Marital Rape) को लेकर दायर PIL मामले में भी समान रुख अपनाएगी?
कानून मंत्री ने क्या कहा?
कानून मंत्री ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह इस मामले को “सरकार बनाम न्यायपालिका” का मुद्दा नहीं बनाना चाहते हैं। केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा, “ऐसा नहीं है। बिल्कुल नहीं”। पीटीआई के मुताबिक, Republic TV के ‘कॉन्क्लेव’ में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “यह भारत के हर नागरिक से जुड़ा मामला है। यह लोगों की इच्छा का सवाल है। लोगों की इच्छा संसद या विधायिका या विधानसभाओं में परिलक्षित होती है…।”
जाहिर तौर पर मामले की सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत की संविधान पीठ का जिक्र करते हुए रिजिजू ने कहा, “यदि पांच बुद्धिमान व्यक्ति अपने अनुसार कुछ सही निर्णय लेते हैं, तो मैं उनके खिलाफ किसी प्रकार की प्रतिकूल टिप्पणी नहीं कर सकता। लेकिन अगर लोग इसे नहीं चाहते हैं, तो आप चीजों को लोगों पर नहीं थोप सकते…।”
कानून मंत्री ने आगे कहा कि विवाह संस्था जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामले देश की जनता द्वारा तय किए जाने चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय के पास कुछ निर्देश जारी करने की शक्ति है। आर्टिकल 142 के तहत यह कानून भी बना सकता है। अगर उसे लगता है कि कुछ खालीपन भरना है तो वह कुछ प्रावधानों के साथ ऐसा कर सकता है। रिजिजू ने कहा, “लेकिन जब ऐसे मामले की बात आती है जो देश के प्रत्येक नागरिक को प्रभावित करता है, तो सुप्रीम कोर्ट देश के लोगों की ओर से निर्णय लेने का मंच नहीं है।”
बता दें कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर उठाए गए सवालों को संसद पर छोड़ने पर विचार किया जाए। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ को बताया कि अदालत एक “बहुत जटिल विषय” से निपट रही है, जिसका “गहरा सामाजिक प्रभाव” है।
क्या भारत सरकार मैरिटल रेप मामले में भी समान रुख अपनाएगी?
Join our Facebook Group or follow us on social media by clicking on the icons below
If you find value in our work, you may choose to donate to Voice For Men Foundation via Milaap OR via UPI: voiceformenindia@hdfcbank (80G tax exemption applicable)