महाराष्ट्र के पुणे में एक कपल के बीच हाथापाई में उनकी छह साल की मासूम बेटी की मौत हो गई। इस दर्दनाक मामले में खुद मां पर बच्चे की हत्या करने और बाद में थाने में सरेंडर करने का आरोप लगाया गया है। यह मामला सितंबर 2019 का है।
क्या है पूरा मामला?
– पीड़िता की पहचान अक्षरा अमित पाटिल के रूप में हुई है, जबकि मां की पहचान 36 वर्षीय श्वेता पाटिल के रूप में हुई थी।
– दत्तावाड़ी पुलिस के पास दर्ज FIR से पता चलता है कि परिवार ने अमेरिका में पांच साल बिताए थे और बच्ची अमेरिकी नागरिक थी।
– बच्ची के पिता 38 वर्षीय अमित पटेल एक आईटी इंजीनियर है। उसे हाल ही में फिर से USA में ट्रांसफर कर दिया गया था, जिसके लिए परिवार को कुछ वीजा प्रक्रिया के लिए चेन्नई जाना था।
– अक्षरा के दादा (उनके पिता के चाचा) संतोष पाटिल ने श्वेता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) के तहत दत्तावाड़ी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
– पुलिस इंस्पेक्टर (क्राइम) राजेंद्र शहाणे के अनुसार, परिवार का अमेरिका के लिए एक वीजा इंटरव्यू निर्धारित था।
– घटना वाले दिन कपल ने इंटरव्यू के लिए बेटी को स्कूल से जल्दी घर लेकर चले आए।
– हालांकि, कपल के बीच किसी बात को लेकर बहस हो गई, जिसके बाद महिला और बच्ची दत्तावाड़ी के तवारे कॉलोनी में एक रिश्तेदार के घर चले गए।
– वहां लड़की पानी पीना चाहती थी इसलिए महिला उसे किचन में ले गई, जहां उसने कथित तौर पर चाकू से हमला कर दिया, जिससे बच्ची की मौत हो गई।
– शिक्षा से बीकॉम ग्रेजुएट करने वाली महिला पर हत्या के आरोप में IPC 302 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस इंस्पेक्टर राजेंद्र शहाणे ने उस वक्त मीडिया से कहा था कि हमने आरोपी को मेडिकल जांच के लिए भेज दिया है। वह अब सदमे की स्थिति में है। वह बार-बार अपना नियंत्रण खो देती है। उसने अब तक केवल इतना ही कहा है कि उसे डर था कि उसके अपने लोग उसकी बेटी को दूर ले जाएंगे।
अधिकारी ने बताया था कि चूंकि मृत बच्ची एक अमेरिकी थी, इसलिए अमेरिकी दूतावास को घटना के बारे में सूचित किया जाएगा। जांच पूरी होने पर पुलिस अमेरिकी सरकार को एक रिपोर्ट भी भेजेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी का 2015 से मानसिक परेशानी का इलाज चल रहा था।
मिड-डे से बात करते हुए उस वक्त अमित ने कहा था कि मेरी पत्नी श्वेता का मानसिक बीमारी का इलाज चल रहा है। उसके लिए बेहतर माहौल सुनिश्चित करने के लिए मैंने अमेरिका जाने की योजना बनाई थी, लेकिन वह इसके खिलाफ थी। मैं हैरान हूं और मुझे अपनी बेटी को उसके साथ अकेला छोड़ने का काफी अफसोस है।
आपको बता दें कि भारत में लगभग 90% मामलों में पिता के कुछ गलत न करने के बावजूद बच्चे की कस्टडी मां को सौंप दी जाती है। आदमी को निःसंतान और एकाकी जीवन जीने के लिए सिर्फ इसलिए बनाया जाता है, क्योंकि वे विभिन्न कारणों से अपने जीवनसाथी से अलग होने का विकल्प चुनते हैं। हालांकि, एक मां सहानुभूति से दूर हो सकती है यदि वह बच्चे से कथित अलगाव के कारण कदम को सही ठहराने की कोशिश करती है।
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